जनता APL/ BPL और अंत्योदय के पेच में फंसकर एक ओर धमतरी की जनता त्रस्त वही धमतरी कलेक्टर स्वास्थ्य विभाग सहित प्रशासनिक अमला पस्त : प्रतीक सोनी

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संक्रमण की इस व्यापक दौर में प्रदेश की जनता को राज्य सरकार ने एपीएल बीपीएल अंत्योदय में बांटकर अपनी मानसिक विकृति का परिचय दिया है।

धमतरी | महामारी के प्रकोप को कम करने एवं स्वास्थ्य की कामना लिए युवा वर्ग रोज सुबह उठकर कोविड-19 वैक्सीन सेंटर की ओर रुक करता है सुबह से लाइन में लगने के दो-तीन घंटे बाद पता लगता है कि वैक्सीन सेंटर में तो एपीएल कार्ड धारकों के लिए वैक्सिंग ही नहीं है मायूस होकर वह घर की ओर लौटते हैं फिर पुनः सवेरे उठकर वैक्सीन सेंटर की ओर जाता है।
यह कोई टीवी सीरियल का सीन नहीं है बल्कि यह धमतरी नगरनिगम क्षेत्र में रोजमर्रा की वास्तविक है, आज धमतरी जिले के सड़कों में प्रतिदिन देखा जाने वाला तमाशा है। जब 1 मई से 18 वर्ष से लेकर 44 वर्ष तक के व्यक्तियों के लिए जब वैक्सीनेशन का मार्ग खोला गया तभी से युवाओं में इस वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए भारी जागरूकता देखी गई परंतु छत्तीसगढ़ राज्य की अवस्था के चलते शुरू के 6 दिन तो वैक्सीन की आपूर्ति आरक्षण के आधार पर केवल अंत्योदय कार्ड धारकों के लिए किया गया। जिसमें लोगों की कोई रुचि देखने को नहीं मिली एवं वैक्सीनेशन सेंटर 6 दिन तक खाली पड़े रहे बिलासपुर हाईकोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार ने एपीएल एवं बीपीएल कार्ड धारकों के लिए भी वैक्सीन लगवाने को मंजूरी दी लेकिन उसमें भी तीन वर्गों में बांट कर आरक्षण को लागू कर दिया।
सुने नहीं मैं समझने में और किताबी आधार पर तो यह फार्मूला सामाजिक न्याय की मिसाल की तरह दिखता है परंतु धरातल में देखने पर पता चलता है की एक काउंटर में धक्का-मुक्की मारामारी और भारी भीड़ किसकी होती है जहां पर जागरूकता अधिक है वही बाकी दो काउंटर में वैक्सीन लगाने वाले स्टॉप आराम फरमाते दिखते हैं क्योंकि वहां इक्के दुक्के लोग ही आते हैं ऐसे में अराजकता की स्थिति वैक्सीन सेंटरों में बनी हुई है विगत कुछ दिनों में तो एपीएल के दोष नहीं है ऐसा बता का धमतरी नगर निगम क्षेत्र मैं 3 दिन तक एपीएल कार्ड धारकों की वैक्सीनेशन को रोका गया और उसके बाद सो जाते हैं भी है तो सिर्फ 20 डोस प्रति सेंटर।
कलेक्टर महोदय तो शायद मिस्टर इंडिया के जबरदस्त फैन है ना वह फोन में उपलब्ध होते हैं ना ऑफिस में और ना ही हमसे मिलने का कोई रास्ता होता है आज पूरा क्षेत्र अव्यवस्था से जूझ रहा है और कलेक्टर महोदय लापता है।
और वही टेक्निकल प्रॉब्लम साइड इरर होने से भी लोग वैक्सीनेशन पर अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे। और वही निगम के पास वैक्सीन के लिए जागरूकता और फैल रहे भ्रम को भी दूर करने में विफल है जबकि रोजाना हजारों रूपए वैक्सीनेशन के प्राचार प्रसार में पैसे खर्च कर रहे हैं लेकिन वैक्सीनेशन के लिए जिले में पर्याप्त वैक्सीन ही नहीं।
एक तरफ प्रशासन के इस रवैये से APL वर्ग के युवा दरबदर भटकने में मजबूर हो रहे और उनमें राज्य शासन और प्रशासन के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा वही अन्योदय कार्ड धारकों के बीच सरकार और प्रशासन विश्वास और जागरूकता बना पाने में विफल साबित हो रही है।