दुनिया की सबसे छोटी श्री रामजी की प्रतिमा पेंसिल की नोक पर

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धमतरी | अपने सुक्ष्म कला से नई पहचान बनाने वाले युवा कलाकार छत्तीसगढ़ के पहले माइक्रो आर्टिस्ट भानुप्रताप कुंजाम ने रामनवमी के शुभ अवसर पर पेंसिल की नोक में भगवान श्री रामचंद्र जी की दुनिया की सबसे छोटी प्रतिमा बनाई है | भानु प्रताप के अनुसार इस कलाकृति को बनाने में एकाग्रता और धैर्यता के साथ लगभग सवा घंटे का समय लगा | इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 14 मिलीमीटर है जो दुनिया की सबसे छोटी प्रतिमा है | भानुप्रताप बताते हैं कि इस तरह के सूक्ष्म कलाकारी करने में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें डिजिटल माइक्रोस्कोप की आवश्यकता है मगर सपोर्ट नहीं मिल पाने से माइक्रोस्कोप ले पाने में भानुप्रताप सक्षम नहीं है आगे उनका कहना है कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती लेकिन कहीं न कहीं आवश्यक इंस्ट्रूमेंट न हो तो बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है |

कई बार हतोत्साहित होकर अपनी इस कला को छोड़ने तक का नहीं ले चुके हैं भानुप्रताप मगर वे जीते जी अपने प्रतिभा को मरते हुए देखना नहीं चाहते इसीलिए अपने मन को मार कर आर्ट वर्क करते हैं और इसी का परिणाम है कि वह छत्तीसगढ़ के पहले पहले माइक्रो आर्टिस्ट के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं | बता दें कि कुंजाम इससे पहले दुनिया की सबसे छोटी शिवलिंग बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था उसके बाद बूढ़ादेव की सबसे छोटी प्रतिमा बनाया अब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी की सबसे छोटी प्रतिमा बनाया है | भानुप्रताप का कहना है कि शासन प्रशासन सो चुकी है यदि ऐसा नहीं है तो उन्हें कब का सपोर्ट मिल चुका होता और वह अपनी प्रतिभा को देश विदेश तक फैला रहे होते उनका यह भी कहना है कि वह किसी के सामने हाथ फैलाना अपने स्वाभिमान की खिलाफ समझते हैं मगर इतने सक्षम नहीं होने के कारण मजबूरी वश ऐसा करना पड़ता है फिर भी निराशा का सामना करना पड़ता है, लोग आते हैं, मिलते हैं, सेल्फी लेते हैं दो शब्द तारीफ ही करते हैं और चलते बनते हैं मगर किसी ने थोड़ा सा भी सहयोग करने की बात नहीं की, इस बात का उन्हें दुख है तो खुशी इस बात की भी है कि वह बिना किसी प्रशिक्षक के निरंतर प्रयास और लगन से माइक्रो आर्ट क्षेत्र में नहीं मुकाम हासिल कर रहे हैं |