धमतरी | छत्तीसगढ़ किसान यूनियन ने गौरव ग्राम कंडेल में बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के छायाचित्र के सामने छत्तीसगढ़ किसान यूनियन द्वारा आयोजित भारत बंद का समर्थन किया और किसान विरोधी कृषि बिल को वापस लेने लेने की मांग की |छत्तीसगढ़ किसान यूनियन ने कहा कि यह बि किसान विरोधी बिल है जिसमें एक राष्ट्र एक बाजार की बात इस बिल में है साथ ही उद्योगपतिऔर किसानों के बीच में समझौता कानून है जिसमें किसान उद्योगपति के हिसाब से खेती करेंगे अनाज गेहूं आलू प्याज खाद्य तेल अनिवार्य वस्तु नहीं है ऐसा बिल इस बिल में लाया गया है पहले यह वस्तु अनिवार्य वस्तु थी अब व्यापारी और उद्योगपति को भंडारण करने का अधिकार मिल गया है जिसे इस वस्तु को रोककर महंगे से महंगे दाम में बेचेंगे | किसान विरोधी काला कानून बिल में कहीं पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर से खरीदी करने का कानून पारित नहीं है| ऐसी स्थिति में किसान लूट और धोखेबाजी का शिकार होंगे| मंडी जब सरकार के अधीन है उसके बावजूद किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता तो बाहर में किसानों को कहां समर्थन मूल्य मिल पाएगा| अपनी उपज को किसान ओने-पौने दाम में बेचेंगे | किसान, व्यापारी और उद्योगपति के गुलाम और धोखाधड़ी का शिकार होंगे| मंडी व्यवस्था और सोसाइटी की व्यवस्था खुलेआम बंद करने की साजिश केंद्र सरकार द्वारा चल रही है|
किसान विरोधी काला कानून बिल के विरोध में देश के 300 किसान संगठन ने भारत बंद का आह्वान किया| छत्तीसगढ़ किसान यूनियन द्वारा इस बिल का विरोध प्रदर्शन कंडेल की पावन भूमि में किया गया | किसानों के हक में सन 1920 में नहर सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुई थी और आज फिर से उसी कंडेल गांव की पावन भूमि में बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के छायाचित्र के सामने विरोध प्रदर्शन कर काला कानून वापस लेने की मांग की गई है और यह लड़ाई निरंतर जारी रहेगी| रविवार 27 सितम्बर को किसान विरोधी बिल संबंध में आवश्यक बैठक रखी गई है जिसमें अगले आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की जाएगी | विरोध प्रदर्शन में लीलाराम साहू, घनाराम साहू ,महावीर साहू, हनुमान प्रसाद सिन्हा, सुदर्शन ठाकुर, दीनदयाल साहू, रघुनाथ साहू, राधेश्याम साहू, नारायण साहू, बंशीलाल साहू, सुदर्शन, तामेश्वर साहू, सोमनाथ साहू, नरेंद्र साहू, पुराण साहू, नरेश साहू , रामलाल ध्रुव, उपेंद्र साहू आदि किसान शामिल हुए|