नीतीश की नैया पार, 125 सीटों के साथ फिर बनेगी NDA सरकार

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नई दिल्ली | बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. बिहार की सत्ता से 15 साल का वनवास खत्म कराने के इरादे से चुनाव मैदान में उतरी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का इंतजार पांच साल और बढ़ गया है. जनता ने बिहार की सत्ता का ताज एक बार फिर नीतीश कुमार के सिर पर सजा दिया है. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार 243 में से 125 सीटों पर विजयी रहे हैं.

यह बहुमत के लिए जरूरी 122 के जादुई आंकड़े से तीन अधिक है. आरजेडी की अगुवाई वाले विपक्षी महागठबंधन को 110 सीटों पर जीत मिली है. एनडीए के घटक दलों में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को 43 सीटों पर जीत मिली है. वहीं, 74 सीटों पर जेडीयू की गठबंधन सहयोगी बीजेपी के उम्मीदवार विजयी रहे हैं. एनडीए के अन्य घटक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को चार और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार सीटों पर विजयश्री मिली है. एग्जिट पोल के अनुमान को झुठलाते हुए एनडीए ने बहुमत प्राप्त कर लिया है. एनडीए को बहुमत के बाद यह तय है कि नीतीश कुमार ही बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे. नीतीश कुमार को सत्ता मिली, लेकिन वे कमजोर हुए हैं. उनकी पार्टी की सीटें कम हुई हैं.

ऐसा पहली बार हुआ है, जब जेडीयू गठबंधन में बीजेपी से पीछे रही है और दूसरे नंबर की पार्टी बनी है. हालांकि, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी प्रचार अभियान के दौरान यह साफ कर चुके हैं कि सीटें कम आईं तो भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे. मतगणना की शुरुआत में ही एनडीए की तुलना में लगभग दोगुनी सीटों पर बढ़त बनाने वाला महागठबंधन अपनी बढ़त को कायम नहीं रख सका. महागठबंधन अंत में 110 सीटें ही जीत सका. महागठबंधन का नेतृत्व करने वाली आरजेडी को 75 सीटों पर जीत मिली. आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. महागठबंधन की घटक कांग्रेस के उम्मीदवार 19 सीटों पर जीत सके, जबकि कम्युनिस्ट पार्टियों ने 16 सीटें जीतीं. बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के उम्मीदवार भी पांच सीटें जीतने में सफल रहे. एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) केवल एक सीट ही जीत पाई. बहुजन समाज पार्टी को भी एक ही सीट पर विजयश्री मिली, जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई. पप्पू यादव के दल जन अधिकार पार्टी (जाप) और पुष्पम प्रिया की प्लूरल्स पार्टी का इस चुनाव में खाता तक नहीं खुल सका. आलम ये रहा कि इन दोनों दलों के मुखिया अपनी सीट तक नहीं जीत पाए. पुष्पम प्रिया को एक सीट पर 1600 से भी कम वोट मिले और वे जमानत तक नहीं बचा पाईं.