जैन संतों का भव्य चातुर्मासिक प्रवेश

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धमतरी | परम पूज्य उपाध्याय प्रवर अध्यात्मयोगी महेंद्र सागर जी महाराज साहेब परम पूज्य उपाध्याय प्रवर युवामनीषी स्वाध्याय प्रेमी मनीष सागर जी महाराज साहेब के सुशिष्य परम पूज्य प्रशम सागर जी महाराज साहेब परम पूज्य योगवर्धन जी महाराज साहेब का जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक संघ धमतरी के श्री पार्श्वनाथ जिनालय में भव्य चातुर्मासिक प्रवेश हुआ।
इस अवसर पर सर्वप्रथम पूज्य गुरु भगवन्तों द्वारा मंगलाचरण किया गया। उसके बाद महिला मंडल, विमल पारख एवं प्रतीक बैद द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। साथ ही चातुर्मास के संयोजक अशोक पारख ने बताया कि पूज्य इससे पूर्व 2013 में धमतरी आए थे तब आपका दीक्षा नहीं हुआ था। उसके बाद कोरोना काल में परम पूज्य उपाध्याय प्रवर महेंद्र सागर जी महाराज साहेब परम पूज्य मनीष सागर जी महाराज साहेब के शिष्य के रूप में आपका चातुर्मास धमतरी श्रीसंघ को प्राप्त हुआ था। उसके बाद इस वर्ष 2025 का वर्षावास धमतरी श्रीसंघ को प्राप्त हुआ है।

चातुर्मास समिति केक्संयोजक अशोक पारख ने कहा कि जिनशासन को समर्पित संतों के माध्यम से ही श्रीसंघ का उद्धार होता है। धर्मनगरी धमतरी की धरा धन्य है जिन्हें लगातार संतों का चातुर्मास प्राप्त होते रहता है। इसी क्रम में इस वर्ष भी परम पूज्य प्रशमसागर जी महाराज साहेब एवं परम पूज्य यशोवर्धन जी महाराज साहेब का चातुर्मास प्राप्त हुआ है। इस चातुर्मास में हमें देव, गुरु, धर्म की आराधना साधना करके आत्म उत्थान के मार्ग की ओर अग्रसर होना है। और इस चातुर्मास की भव्य बनाना है। आपका पिछला चतुर्मास नगरी श्रीसंघ को प्राप्त हुआ था। इस वर्ष धमतरी संघ को प्राप्त हुआ है।
परम पूज्य प्रशम सागर जी महाराज साहेब ने फरमाया कि आज चातुर्मासिक प्रवेश तो हो गया है। पर अब हमें स्वयं को इससे जोड़ने की जरूरत है। यह चातुर्मास 4 माह का है। वैराग्य शतक के माध्यम से श्री जिनेन्द्राचार्य जी फरमाते है कि यह जीव संसार में ऐसी कोई गति नहीं है जिसने सैकड़ों बार न गया हो। फिर आज इस चातुर्मास की जरूरत क्यों है। चातुर्मासिक प्रवेश का क्या महत्व है। हमें ये जानने का प्रयास करना है। हमारे प्रत्येक कार्य का कुछ न कुछ लक्ष्य बना हुआ है। किंतु चातुर्मासिक प्रवेश का अगर हमने अबतक कोई लक्ष्य नहीं बनाया है तो तत्काल बना लेना है। इस चातुर्मास काल में हमे देव, गुरु और धर्म से जुड़ना है। आत्म विकास के मार्ग की ओर अग्रसर होना है। वास्तव में चातुर्मासिक प्रवेश किसी साधु-साध्वी के प्रवेश का नहीं है बल्कि स्वयं के अर्थात श्रावक श्राविकाओं के प्रवेश का है। 3 प्रकार की यात्रा होती है। पहली यात्रा का नाम है भटकना- इस यात्रा में केवल चलते रहते है किन्तु कोई लक्ष्य नहीं होता। इसलिए इस यात्रा में हम भटकते रहते है। दूसरी प्रवास यात्रा- इस यात्रा में हम चलते भी है और बुद्धि का प्रयोग भी करते है। किंतु कोई निश्चित लक्ष्य नहीं होता है। तीसरी प्रवेश यात्रा – इस यात्रा में हम चलते भी है अपनी बुद्धि का प्रयोग भी करते है साथ ही अंतरहृदय से आत्म विकास में जुड़ते भी है। इस यात्रा से जीवन में आत्मा का विकास हो सके ऐसा परिवर्तन करना है। आज परमात्मा के स्कूल में चातुर्मास के माध्यम से हमारा एक विद्यार्थी के रूप में प्रवेश हुआ है। अब एक अच्छे विद्यार्थी के रूप में हमे अपने आत्मविकास के लिए प्रयास करना है। संघ का सौभाग्य होता है जिन्हें चातुर्मास में जिनवाणी के श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। आज यह सुअवसर धमतरी श्रीसंघ को प्राप्त हुआ है। आज हमें अपनी आत्मा के विकास के कर्तव्य को पूरा करने का अवसर मिला है ।परमात्मा की वाणी में हमारे जीवन की हर समस्याओं का समाधान है। बस जरूरत है जिनवाणी के प्रति श्रद्धा रखने की। इस अवसर पर नगरी, वरोरा , इस अवसर पर राजनांदगांव से परम पूज्य प्रशम सागर जी महाराज साहेब के सांसारिक वीर मातापिता श्री रमेश जी गोलछा श्रीमती भारती जी गोलछा , वीर भाई भाभी श्री मनीष जी गोलछा श्रीमती नीलू जी गोलछा राजनांदगांव, परम पूज्य यशोवर्धन जी महाराज साहेब के सांसारिक वीर माता पिता श्री देवेंद्र जी गोलछा एवं श्रीमती दीपिका जी गोलछा वरोरा सांसारिक मामा श्री योगेश जी भंसाली मलकापुर एवं परम पूज्य विराट सागर जी महाराज साहेब के वीर पिता श्री महेंद्र जो गोलछा कांकेर से पधारे थे। आप सभी का श्रीसंघ धमतरी की ओर से स्वागत किया गया। इस अवसर पर भंवरलाल छाजेड़, विजय गोलछा, धरमचंद पारख, अशोक पारख, लक्ष्मीलाल लूनिया, अशोक राखेचा, निर्मल बरडिया, संकेत पारख, पारसमल गोलछा, संजय लोढ़ा, शिशिर सेठिया, श्याम डागा, मोतीलाल चोपड़ा, धनपत बरडिया, संजय छाजेड़, कुशल चोपड़ा, अंकित बरडिया, प्रतीक बैद, किरण सेठिया, अलित बुरड़, श्वेता बरडिया, किरण गोलछा सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शिशिर सेठिया ने किया।