साल की प्रथम फसल इष्ट देव को समर्पित….किया परम्परा का निर्वहन

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नगरी | आदिवासी गोंड़ समाज के रिसगांव उपक्षेत्र अंर्तगत रिसगांव, खल्लारी,करही, करका, गादुलबाहरा, संदबाहरा आमाबहार, जोरातराई, मासुलखाई ,उजरावन, मांदागिरी, चमेंदा,सालेभाट,जोगीबिरदो गाताबहार,आमझर ग्रामों के आदिवासी समाज के लोग आदिम परंपरा से चली आ रही महत्वपूर्ण पर्व नवा खाई एवं ठाकुर जोहरनी का पर्व धूमधाम से मनाया  ग्राम के सभी पेन शक्ति जिमिदारीन इष्ट देवी देवताओं की विशेष सेवा के साथ गांवों के गायता,पटेल,समाज प्रमुख की सलाह और समाजिकजनों की सहमति से एक निश्चित स्थान चयनित कर इष्ट देवताओं को विधि विधान से साल की प्रथम फसल के अन्न का अर्पण कर ग्रामीणों व्दारा ग्रहण किया जाता है |आदिवासी समाज में नवा खाई पर्व का एक विशेष महत्व है | यह पर्व आदिवासी समाज की आदिम परंपरा है | इस पर्व के दिन समाज के सभी वर्ग एकत्र होकर सामुहिक रुप से पेन शक्तियों की सेवा कर नई फसल की अन्न अर्पण करने के पश्चात ही ग्रहण करते है |

इस अवसर पर रिसगांव क्षेत्र के आदिवासी समाज ने आदिवासी समाज के वीर शहीदों को याद करते हुए समाज की सतरंगी ध्वजा का रोहण किया। पर्व के दौरान अपनी आदिम संस्कृति रेला पाटा नृत्य कर एक  दूसरे को जोहार भेंट किया | उपक्षेत्र रिसगांव के अध्यक्ष दुलारूराम मरकाम ने समाजिक जनों की सुख समृद्धि की इष्ट देवी देवताओं से कामना करते हुए पर्व की शुभकामनाएं दी है |

कार्यक्रम के दौरान समाज के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष रूपसिंह मंडावी, सुद्धू पदमाकर, सचिव नथलूराम, ग्राम पटेल बाबू राम मरकाम, करका जयलाल ओटी जोरातराई, हिम्मत राम मासुलखाई, युवा प्रभाग प्रमुख पूर्व सरपंच बीरबल पदमाकर जोरातराई,आसुलाल मरकाम,अमरसिंह मरकाम, लोकेश पदमाकर,चैनसिंह नेताम,लोविन्द मरकाम, ईश्वरी नेताम  मौजूद थे |