युक्तियुक्तकरण से शिक्षा को मिली नई दिशा, धमतरी की 144 स्कूलों में फैला ज्ञान का उजियारा

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धमतरीl शिक्षा के क्षेत्र में धमतरी जिले ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। लंबे समय से शिक्षकविहीन और एकल शिक्षक पर निर्भर स्कूलों में अब शिक्षकों की बहाली से न केवल बच्चों की पढ़ाई को संजीवनी मिली है, बल्कि पूरे जिले में शिक्षा का माहौल भी सकारात्मक रूप से बदला है। राज्य सरकार की युक्तियुक्तकरण योजना के अंतर्गत जिले की 144 स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिससे गांव-गांव में अब शिक्षा का उजियारा फैलेगा।

दूरस्थ क्षेत्रों को मिला शिक्षक, जन-जन में खुशी

नगरी, दक्षिण मगरलोड और डूबान जैसे दूरस्थ अंचलों के स्कूल, जहां अब तक शिक्षकों की भारी कमी थी, अब सक्षम और प्रशिक्षित शिक्षकों से सुसज्जित हो चुके हैं। इससे उन क्षेत्रों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी शुरू हो गई है। पालकों, जनप्रतिनिधियों और स्वयं विद्यार्थियों में इस बदलाव को लेकर गहरी संतुष्टि और उत्साह देखा जा रहा है।

111 स्कूलों को मिले गणित और विज्ञान शिक्षक

गणित और विज्ञान जैसे कठिन समझे जाने वाले विषयों के लिए 111 स्कूलों में विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। अब इन विषयों की कक्षाएं नियमित रूप से संचालित होंगी, जिससे छात्रों की समझ बेहतर होगी और शैक्षणिक प्रदर्शन में भी उल्लेखनीय सुधार आएगा।

असंतुलन को संतुलन में बदला

पूर्व में जिले के शहरी और मैदानी क्षेत्रों में जहां आवश्यकता से अधिक शिक्षक पदस्थ थे, वहीं वनांचल और ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल शिक्षक विहीन थे। इस असमानता को युक्तियुक्तकरण ने प्रभावी ढंग से दूर कर दिया है। अब संसाधनों का बेहतर और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित हो पाया है।

️ “यह पहल शिक्षा के अधिकार को सच्चे अर्थों में जमीन पर उतारने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। सभी नियुक्त शिक्षकों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है, जिससे जिले की शिक्षा प्रणाली को मजबूती मिली है।”

— अबिनाश मिश्रा, कलेक्टर, धमतरी

आंकड़ों पर एक नजर:

कुल शिक्षकविहीन स्कूल: 181

नियुक्ति प्राप्त स्कूल: 144

अभी भी एकल शिक्षक स्कूल: 37

गणित-विज्ञान शिक्षक प्राप्त स्कूल: 111

कुल स्थानांतरित अतिशेष शिक्षक: 181

✅ निष्कर्ष:

धमतरी जिले में युक्तियुक्तकरण सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं बल्कि शिक्षा की समरसता और समानता की दिशा में एक ठोस कदम है। इससे अब कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा — चाहे वह कितना ही दूरस्थ या वनांचल क्षेत्र में क्यों न रहता हो।

यह पहल न सिर्फ जिले में शिक्षा का स्तर बढ़ाएगी, बल्कि आने वाले वर्षों में सामाजिक और आर्थिक बदलावों की भी नींव रखेगी।