थिएटर से संवाद और संवेदना की ओर — धमतरी में पांच दिवसीय नाट्य कार्यशाला संपन्न

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थिएटर से संवाद और संवेदना की ओर — धमतरी में पांच दिवसीय नाट्य कार्यशाला संपन्न, शाश्वत उत्सर्ग यूथ थिएटर ग्रुप और अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में पाँच-दिवसीय थिएटर वर्कशॉप का हुआ आयोजन

धमतरी | 11 जून 2025 “कला केवल मनोरंजन नहीं, परिवर्तन का माध्यम भी है” — इसी सोच के साथ 3 से 7 जून के मध्य अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन, शंकरदाह में आयोजित पाँच दिवसीय थिएटर वर्कशॉप का सफल समापन हुआ। इस रचनात्मक प्रक्रिया में जिले भर से 55 से अधिक युवाओं के साथ रेडक्रॉस, एनएसएस के स्वयंसेवकों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य केवल अभिनय सिखाना नहीं, बल्कि युवाओं में अभिव्यक्ति, सहानुभूति, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक चेतना का विकास करना था। प्रतिभागियों ने न केवल थिएटर की मूलभूत बारीकियाँ सीखी, बल्कि उसे एक सामाजिक संवाद के माध्यम के रूप में भी आत्मसात किया। समूह निर्माण और विषय-वस्तु: सहभागियों को उनके क्षेत्र के आधार पर पाँच समूहों में बाँटा गया। प्रत्येक समूह ने सामाजिक मुद्दों पर आधारित एक-एक नाटक तैयार किया, जिसका जीवंत मंचन वर्कशॉप के अंतिम दिन किया गया। प्रस्तुत नाटकों की सूची इस प्रकार रही:
1. “ठाकुर का कुआं” – मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी पर आधारित
2. “दीवारें” – लेखक: इश्तियाक
3. “बच्चे कहाँ हैं?” – लेखक: अविनाश सैनी
4. “बात पते की” – लेखक: राधेश्याम मंगोलपुरी
5. “कौन जिम्मेवार है?” – लेखक: संजीव
इन नाटकों का चयन भारत ज्ञान विज्ञान समिति, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित साहित्य से किया गया था, जिससे युवा रंगकर्मियों को समाज की विविध वास्तविकताओं को मंच पर उतारने का अवसर मिला। शाश्वत उत्सर्ग यूथ थिएटर ग्रुप के कलाकार – आकाश गिरि गोस्वामी, राजकुमार सिन्हा, गौतम साहू, सोहन लाल साहू, वैभव रणसिंह, व आशीष साहू पूरे पाँचों दिन उपस्थित रहकर सहभागियों को भाव-प्रकाशन, संवाद अदायगी, मंचीय अनुशासन व सामूहिक प्रस्तुति की तकनीकों से अवगत कराया। उनके सधे हुए अभिनय के अनुभवों और निर्देशन में प्रतिभागियों ने नाटक के निर्माण की पूरी प्रक्रिया का सजीव अनुभव लिया। पाँचों नाटकों में संगीत का संयोजन गौतम साहू और वैभव रणसिंह द्वारा संयुक्त रूप से किया गया, जबकि बैकग्राउंड म्यूजिक की जिम्मेदारी आशीष कुमार साहू ने निभाई। मंच संचालन की भूमिका जहाँ एक ओर सोहन लाल साहू और सुनील साह ने कुशलता से निभाई, वहीं दूसरी ओर गुलशन ध्रुव ने फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जिम्मेदारी संभालते हुए संपूर्ण कार्यशाला की रचनात्मक झलकियों को संजोया।
दर्शकों की भागीदारी और सराहना प्रस्तुति के दिन कुल 105 से अधिक दर्शकों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनमें प्रतिभागियों के पालकगण, स्थानीय शिक्षक-शिक्षिकाएँ तथा ग्राम डोंडकी के जनप्रतिनिधि — सरपंच, उपसरपंच और पंचायत सदस्य शामिल थे। सभी दर्शकों ने युवा कलाकारों की प्रस्तुतियों को गहरी रुचि से देखा, उनके प्रयासों की सराहना की और अपने विचार साझा करते हुए थिएटर को युवाओं के आत्म-विकास और सामाजिक जागरूकता का प्रभावी माध्यम बताया। कोलियारी गाँव से प्राथमिक विद्यालय के 15 छात्र-छात्राएँ भी अपने पालक के साथ ऑटो से नाटक देखने विशेष रूप से पहुँचे — यह थिएटर की पहुँच और आकर्षण का जीवंत प्रमाण था। इस मौके पर अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन धमतरी के जिला प्रमुख गुलशन यादव ने शाश्वत उत्सर्ग यूथ थिएटर ग्रुप के सभी सदस्यों का इस साझी रचनात्मक प्रयास को जारी रखने के लिये उत्साहवर्धन किया। थिएटर से संवाद और संवेदना की ओर इस कार्यशाला के माध्यम से यह अनुभव किया गया कि थिएटर केवल अभिनय नहीं है — यह अंदर के सवालों को बाहर लाने, समाज को आईना दिखाने और समाधानों की ओर बढ़ने की एक सशक्त प्रक्रिया है। युवाओं ने मंच पर केवल अभिनय नहीं किया, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति, सहभागिता और समाज के प्रति ज़िम्मेदारी को भी महसूस किया। प्रत्येक समूह ने अपने प्रस्तुत नाटक को आगामी दिनों में अपने-अपने गाँवों और कॉलेजों में मंचित करने की उत्सुकता और प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिससे थिएटर के माध्यम से सामाजिक संदेश को व्यापक स्तर तक पहुँचाया जा सके।