धमतरी । जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शरद लोहाना ने कहा कि क्यों रमन सिंह ने सीबीआई जांच न होने की सूचना दो साल तक छिपाई? क्या भाजपा को डर है कि झीरम में सुपारी किलिंग की कलई खुल जाएगी? 25 मई, 2013 को बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर सुनियोजित हमला किया। जिसमें कांग्रेस के शीर्ष 13 नेताओं सहित कुल 29 लोग शहीद हो गए थे। वह दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में काले दिन की तरह दर्ज हुआ क्योंकि वह भारत का अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक नरसंहार था। मई, 2014 में केंद्र में यूपीए की जगह एनडीए की सरकार आ गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सत्ता संभाल ली. इसके बाद से जांच पटरी से उतरनी शुरु हुई और अगस्त आते आते तक जांच की दिशा बदल गई. सितंबर, 2014 में जब पहली चार्जशीट दाखिल हुई तो उसमें गणपति और रमन्ना के नाम ग़ायब थे. यानी देश के सबसे बड़े और घातक नक्सली हमले में नक्सलियों के शीर्ष नेताओं को बरी कर दिया गया। इसके बाद की जो भी जांच हुई उसमें इस बात की जांच हुई ही नहीं कि इस दिल दहला देने वाली घटना, जिसमें कांग्रेस नेताओं की एक पूरी पीढ़ी ख़त्म हो गई, का षडयंत्र किसने रचा? एनआईए ने कई महत्वपूर्ण लोगों से बयान तक नहीं लिया. एनआईए की वेबसाइट पर लगातार लिखा जाता रहा कि जांच पूरी हो गई है. यानी षडयंत्र किसने रचा? किसके कहने पर रचा? कुछ महीनों बाद होने वाले चुनाव में इससे किसको फ़ायदा होने वाला था? इन सबकी कोई जांच नहीं की गई.जांच आयोग के दायरे में भी षडयंत्र नहीं। सीबीआई जांच को भी टाला और फ़ैसला छिपाकर रखा। कांग्रेस की ओर से विधानसभा में और विधानसभा के बाहर लगातार मांग की जाती रही कि घटना के षडयंत्र की जांच की जाए. लगातार बढ़ते दबाव के बाद वर्ष 2016 के बजट सत्र के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी ने घोषणा की थी कि वे झीरम के षडयंत्र की सीबीआई जांच करवाएंगे. विभाग ने लिखा कि गृह मंत्रालय और सीबीआई से चर्चा के बाद पाया गया कि चूंकि घटना की जांच एनआईए कर चुकी है इसलिए अब सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने यह जानकारी न विधानसभा को दी, न कांग्रेस पार्टी को और न छत्तीसगढ़ की जनता को कि सीबीआई जांच से मोदी सरकार ने इनकार कर दिया है. जब वे चुनाव हार गए और राज्य में कांग्रेस की सरकार आ गई तब दिसंबर, 2018 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यह जानकारी मिली कि सीबीआई जांच से इनकार हो चुका है.
वर्ष 2016 में कांग्रेस के दबाव पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने स्वीकार कर लिया था कि झीरम नरसंहार की सीबीआई जांच करवाई जाएगी लेकिन केंद्र सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया. डॉ रमन सिंह की भूमिका अगर नहीं थी तो उन्होंने दो वर्ष तक यह जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की?
झीरम के षडयंत्र की जांच से भाजपा के नेता क्यों बचना चाहते हैं?