
भगवान के वचनो पर किसी प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिए – प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा
धमतरी। चातुर्मास के तहत इतवारी बाजार स्थित पार्श्वनाथ जिनालय में प्रवचन जारी है। जिसके तहत आचार्य भगवंत परम पूज्य श्री पूर्णानंद सागर सूरीश्वर जी म. सा. ने कहा कि ज्ञानीजन कहते है कि अच्छा करने पर अच्छा मिलेगा, बुरा करने पर बुरा मिलेगा, पाप करने पर पाप और पुण्य करने पर पुण्य मिलता है, लेकिन पाप और पुण्य दोनो न करे तो क्या मिलेगा इसे भगवान महावीर स्वामी ने समझाया है। आत्मा पाप और पुण्य से हटेगी तो आत्मा का शुद्ध स्वरुप मिलेगा। लड़की के ससुराल में यदि उसके माता पिता या परिवारजनों का हस्तक्षेप रहता है तो वह घर कभी सुखी नहीं रहता। जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते है स्वयं ही उस गड्ढ़े में गिरते है।
हम जो व्यवहार दूसरों के साथ करेंगे वही व्यवहार हमारे बच्चे हमारे साथ करेंगे। हमे स्वयं से पूछना चाहिए कि क्या हमारे कर्म अच्छे है या बुरे? ध्यान रहे किसी के साथ बुरा करने से नरक के द्वार खुलते है। लगातार पतन की ओर आगे बढ़ेंगे। इसलिए प्रायश्चित, तप और साधना करें। प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा. ने कहा कि संस्कार मुसाफिर खाना है। कुछ देर के लिए आये है फिर चले जाना है। यदि इस दौरान हमारा मन संस्कार में रम जाता है तो कर्म बंधता है। और इसे मुसाफिर खाना ही समझे तो कर्म टूटते है। प्रभु के प्रति प्रेम है या नहीं हम समर्पित है या नहीं इसके परीक्षण निम्न चार बातो से कर सकते है। पहला भगवान के वचनो पर किसी प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिए। यदि शंका है तो हम समर्पित होना शुरु भी नहीं कर पाए है तर्क वितर्क मे बदल जाता है तो जीवन का सार बदल जाता है। दूसरा भगवान के संंबंध में चिंतन करें क्या हम उनकी आज्ञा का पालन निष्कर्ष करते हुए करते है तो कभी भी भगवान के करीब नहीं आ सकते । आज्ञा के प्रति विरोध नहीं करना चाहिए। तीसरा भगवान की बात को लेकर मन नहीं बदलना चाहिए। यह न सोचे की हम क्यो सयंम पर आगे बढे, धर्म साधना करें। चौथा भगवान की बातो को लेकर कभी भी मतभेद या विवेक खड़ा न करें। यह न सोचे कि इस भगवान यह कहा था उस भगवान ने कुछ और यदि ये चारो बातों से परे होकर भक्ति करते है तो आप पूर्ण समर्पित है। यदि भक्ति के उत्कर्ष पर पहुंच जाए तो भगवान भी जवाब देते है। जिसे अनुभव कर सकते है। यदि चिंतन स्थिर है तो कोई और विचार नहीं आएगा और चिंतन स्थिर नहीं है तो सब कुछ नजर आता है। संसार के सुख से अच्छा सुख प्रभु के भक्ति में है। प्रवचन का श्रवण करने बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे।
पांच वर्षीय मोक्षा राखेचा किया उपवास, संघ ने किया सम्मान
चातुर्मास के तप तपस्याओं का दौर जारी है। जिसके तहत पांच वर्षीय मोक्षा राखेचा ने उपवास किया। जिसका आज श्री संघ द्वारा सम्मान किया गया। छोटी बच्ची के उपवास को देख साधु-साध्वियों द्वारा हर्ष व्यक्त करते हुए सभी को इस बच्ची से प्रेरणा लेने की सीख दी। वहीं समाज के बच्ची पूर्वी पिता अशोक राखेचा, भव्य पिता अमित राखेचा, भावी पिता आलोक राखेचा, ईशिका पिता नरेन्द्र बंगानी ने चार उपवास पूरे किये। वहीं नरेन्द्र पिता अनोपचंद बंगानी, ममता पति नरेन्द्र बंगानी ने भी चार उपवास पूरे किये।