आपातकाल के काले अध्याय के लिए कांग्रेस को मांगनी चाहिए माफी : रंजना साहू

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आपातकाल कांग्रेस का काला कारनामा : रंजना साहू

मीडिया से रूबरू होते हुए विधायक रंजना साहू ने बताई कमल सदन जिला कार्यालय कांकेर में आपात काल की बातें

धमतरी| 25 जून 1975 को तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लोकतंत्र की हत्या करते हुए देश पर जबरन थोपे गये आपातकाल को जनता को याद दिलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी जिला कांकेर द्वारा आज भाजपा कार्यालय कमल सदन में धमतरी विधायक रंजना साहू द्वारा भाजपा जिलाध्यक्ष सतीश लाटिया, सुमित्रा मारकोले, भरत मटियारा, शालिनी राजपूत व कार्यक्रम प्रभारी विजय कुमार मण्डावी, जिला महामंत्री बृजेश चौहान, दिलीप जायसवाल की उपस्थिति में प्रेस वार्ता ली गई ।


विधायक रंजना साहू ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल के काले अध्याय के लिए कांग्रेस पार्टी को जनता से माफी मांगनी चाहिए । आपातकाल लगने वाला दिन काला दिन था। जिसे तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इतिहास के पन्नों को भी काला करने का काम किया है। आपात काल में इंदिरा सरकार ने मनमानी करते हुये जनंसघ के बड़े नेताओं को जहां जेल में बंद कर दिया था वहीं मीडिया पर लगाम लगाने मीडिया संस्थानों में ताला लगवा दिया था । आपातकाल में जनता के बोलने की आजादी छीन ली गई थी । इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध ठहराने के बाद इंदिरा गांधी द्वारा मनमानी, तानाशाही रवैया अपनाते हुए अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश पर जबरदस्ती आपातकाल थोपा गया । फैसला देने वाले जज व वकील को तरह-तरह से प्रलोभन दिये गये और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व कांग्रेस पार्टी द्वारा इस दौरान हर वो काम किया गया जो पूर्णतः अवैध था । आपतकाल में चुनाव स्थगित कर नागरिकों के अधिकारों का दमन किया गया । लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि कहा । आपातकाल की घोषणा के साथ ही आरएसएसए के स्वंयसेवकों व तमाम गैर कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गई । विपक्षी नेताओं के आवाज को दबाते हुए जेल में बंद कर प्रताड़ित किया जाने लगा । आपातकाल के विरूद्ध सत्याग्रह करने वाले लाखों लोगों को जेल भेज दिया गया । लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मोरारजी भाई देसाई, अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवानी, अरूण जेटली, मलकानी जार्ज फर्नांडिस, नीतिश कुमार, सुशील मोदी, रामविलास पासवान, शरद यादव व छ.ग. में सच्चिदानंद उपासने सहित हजारों नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया । लाखों त्याग व बलिदान से प्राप्त इस आजादी व लोकतंत्र को कांग्रेसी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आधी रात को खत्म कर देश का फिर से तानाशाही और गुलामी के उसी बियाबन में धकेल दिया जहां से 1947 में निकल कर भारत आया था । जो आज की पीढ़ी है उन्हें यह जानना बेहद जरूरी है कि किस प्रकार आपातकाल के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी को भी बुरी तरह कुचल दिया गया था । लोगों की जबरन नसबंदी की गई । मीडिया पर पुरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया था । आपातकाल के तुरंत बाद अखबारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई ताकि ज्यादातर अखबार आपातकाल के काले अध्याय के बारे में कोई भी खबर छाप न सके। 327 पत्रकारों को मीसा कानून के तहत जेल में बंद कर दिया गया । विदेशी संवाददाताओं को देश से बाहर जाने का आदेश दे दिया गया । उनके आफिस के टेलीफोन कनेक्शन काट दिये गये । जो कांग्रेसी आज अभिव्यक्ति की आजादी व लोकतंत्र की बात करते है उन्हें आपातकाल को याद कर लेना चाहिए ।
श्रीमती साहू ने आगे कहा कि प्रदेश मेे जब से कांग्रेस की सरकार आई है लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी छीनी जा रही है । सरकार के खिलाफ बोलने पर फर्जी तरीके से एफआरआई की जा रही है । प्रदेश के मीडिया कर्मी कांग्रेस नेताओं द्वारा पीटे जा रहे है । कांकेर में ही पुलिस के संरक्षण में कांग्रेस नेताओं द्वारा पत्रकारों को पीटने की घटना लोगोे के जेहन से उतरी नही है । उन्होने कहा कि हमें बार-बार स्मरण करने की जरूरत है कि आज 2021 में हम जिस आजादी की हवा में सांस ले रहे है, यह आजादी हमने 1975 से 1977 तक कांग्रेस से लड़ कर हासिल की है । इस प्रेस वार्ता में राजीव लोचन सिंह, निर्मला नेताम, देवेन्द्र भाउ, सुषमा गंजीर, राजा देवनानी, जिला मीडिया प्रभारी निपेन्द्र पटेल, सह प्रभारी डाॅ देवेन्द्र साहू, दीपक खटवानी, गिरधर यादव, भूपेन्द्र नाग उपस्थित रहे ।