दानीटोला का शीतला मंदिर, जब धमतरी गांव था तब यहां ग्राम्य देवी की स्थापना हुई थी, सभी धर्म के लोग आते हैं शीश झुकाने 

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धमतरी | शहर के दानीटोला वार्ड स्थित शीतला मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है | यहां सभी धर्मों के लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं| चैत्र और क्वार नवरात्र में श्रद्धालुओं द्वारा मनोकामना दीप प्रज्वलित किए जाते हैं | सोमवार और गुरुवार को माता के चरणों में नीमपत्ती, भीगा हुआ चना, दाल, कच्ची हल्दी माता के चरणों में अर्पित किया जाता है| बावली के जल से पीड़ित व्यक्ति को स्नान करवाने से चेचक, सेंदरी, गलवा माता एवं चर्म रोगों से स्वास्थ्य लाभ होता है| इस बावली को मंदिर समिति ने सहेजकर रखा है| मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से  माता की पूजा -अर्चना करते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है| शक्ति की भक्ति का पर्व 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है |नवरात्र को लेकर शहर समेत ग्रामीण अंचल के देवी मंदिरों में तैयारी अंतिम चरण पर है |मंदिर की  लिपाई -पुताई कर आकर्षक रंग  बिरंगी लाइटों से सजाया जा रहा है | दानीटोला वार्ड शहर के अंतिम छोर पर बसा हुआ है | यहां  स्थित शीतला माता मंदिर की महिमा अपरंपार है | नवरात्र पर्व को लेकर यहां तैयारी शुरू हो गई है | मंदिर समिति के सचिव सोहन धीवर ने बताया कि शीतला मंदिर का इतिहास काफी पुराना है| धमतरी शहर पूर्व में जब गांव था तब इस मंदिर का निर्माण किया गया था | धार्मिक  मान्यता  के  अनुसार जब भी कोई  गांव  बसता  था  वहां ग्राम्य देवी के रूप में मां शीतला देवी की स्थापना की जाती है | उस समय माँ शीतला की स्थापना के लिए इस स्थल का चयन किया गया था | जो आज भी विद्यमान है |यहां सभी धर्मों के लोग शीश झुकाने के लिए आते हैं | मंदिर निर्माण के समय से ही धीवर समाज के लोग माता की सेवा करते आ रहे  हैं | यह सिलसिला आज भी जारी है| पहले मंदिर छोटा सा था | जन सहयोग से भव्य रुप दिया गया |यहां हर नवरात्र में समाज द्वारा धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था | इस बार कोरोना संक्रमण को देखते देखते हुए कार्यक्रम का आयोजन नहीं होगा | उन्होंने आगे बताया कि 15 साल पहले जब  बावली का जीर्णोद्धार किया जा रहा था तभी एक शिलालेख मिला| शिलालेख को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि यह मंदिर लगभग 100 से 150  वर्ष पुराना है । लोगो में मंदिर के प्रति गहरी आस्था है | माता सभी की मनोकामना पूर्ण करती है |यहां सच्चे मन से मांगी गई सभी  मुरादे पूरी होती है |अगर कोई व्यक्ति तनाव ग्रस्त है |वह माता के दरबार में आकर सच्चे मन से माता की पूजा -अर्चना करे तो वह तनाव मुक्त हो जाता है | माता को नीम पत्ती, भीग हुआ चना, दाल, कच्ची हल्दी अति प्रिय है| माता के चरणों में  ये चीजें अर्पित करने से  मनुष्य को आत्मिक सुख की प्राप्ति  होती है | उन्होंने आगे कहा कि बावली के पानी से देवी-देवताओं की प्रतिमाओं  को स्नान कराया जाता है| इसे कभी सूखने नहीं दिया जाता है | बावली की गहराई  25 फीट है | बावली के पानी में इतनी शक्ति है कि चेचक, सेंदरी माता, गलवा माता, चर्म रोग से पीड़ित व्यक्ति को इस पानी से स्नान कराने से वह पूरी तरह ठीक हो जाता है| नवरात्र पर्व को लेकर मंदिर की तैयारी अंतिम चरण पर है। मंदिर की लिपाई पुताई कर आकर्षक लाइट से सजाया जाएगा | उन्होंने आगे बताया कि मंदिर में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किये जाएंगे जिसके लिए पंजीयन प्रारम्भ हो चुका है। घी के लिए 901 रुपए और तेल के लिए 701 रुपए  शुल्क निर्धारित किया गया है। पिछले चैत्र नवरात्र में 21 श्रद्धालुओं ने मनोकामना दीप के लिए बुकिंग किये थे लेकिन  कोरोना संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए तथा प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए दीप प्रज्वलन नहीं किया गया था। उन श्रद्धालुओं का मनोकामना ज्योति कलश इस नवरात्र में प्रज्ज्वलन  किया जाएगा। उन्हें फोन के माध्यम से सूचित कर दिया गया  है| उन्होंने आगे कहा कि कोरोना काल में शासन द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन किया जाएगा ।दीप प्रज्वलन का  कार्य  मुख्य पुजारी द्वारा किया जाएगा | भक्तों को मास्क लगाना अनिवार्य है | यहां सोशल डिस्टेंस का पालन करवाया जाएगा। हवन एवं पूर्णाहुति का कार्य मुख्य पुजारी और समिति के संचालक मंडल द्वारा किया जाएगा| प्रसाद वितरण नहीं होगा |सर्दी, खासी, बुखार के लक्षण वाले भक्तों का मंदिर में प्रवेश वर्जित रखा गया है| नवरात्र की तैयारी में समाज के महासंरक्षक परमेश्वर फुटान, संरक्षक होरीलाल मतस्यपाल, सचिव सोहन धीवर, कोषाध्यक्ष सोनू राम नाग, पुजारी जनक महाराज  जुटे हुए हैं|