जिला अस्पताल में रोजाना पहुंच रहे 200 से 250 मरीज,डॉक्टरों के साथ पूरा स्टाफ सेवा कार्य मे जुटा

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(राजेश रायचुरा/आशीष मिन्नी) धमतरी | कोरोना के खिलाफ जंग में जो सफलता मिलती दिखाई दे रही है उसमे अगर सबसे बड़ा योगदान किसी का है तो वह डॉक्टर और अस्पताल के अन्य स्टॉप का है। एक तरफ कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन कर लोगो को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। घर पर रहकर भी लोग दहशत में है कि कोरोना वायरस अपनी चपेट में न ले ले, वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर व अस्पतालों के अन्य कर्मचारी अपने फर्ज को निभाने के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात हैं। ये न सिर्फ घर से बाहर निकल रहे है बल्कि ऐसी जगह सेवा दे रहे जहां कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण फैलने की सबसे संवेदनशील जगह कोई मानी जाए तो वह अस्पताल ही होगी क्योंकि अगर कोई कोरोना संक्रमित होता है और उसे सर्दी, जुकाम, खरास, बदन दर्द या अन्य कोई परेशानी होती है तो वह इलाज के लिए सबसे पहले अस्पताल की शरण लेगा। अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टरों व संपर्क में आने वाले अन्य कर्मचारियो को भी कोरोना से संक्रमित होने का खतरा रहेगा, क्योंकि कोरोना वायरस सम्पर्क में आने से फैलता है। इस स्थिति को देखते हुए वर्तमान में अस्पतालों में अपनी सेवा देना बड़ा जिगर रखने वालों के बस की बात माना जा रहा है। डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ के कार्यों की तारीफ करनी होगी कि लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए जोखिम उठा रहे हैं, जिससे साफ जाहिर हो रहा कि उन्हें खुद से ज्यादा दूसरों की चिंता है। हमारे प्रतिनिधि ने आज जिला अस्पताल का दौरा किया, वहां देखा गया कि बाकी दिनों की तरह ही बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए पहुंचे थे। वहां उपलब्ध डॉक्टरों ने इलाज कर राहत प्रदान की। जिला अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में रोजाना 200 से 250 मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं, लॉकडाउन के चलते निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या भले ही घटी हो पर जिला अस्पताल में बराबर मरीज आ रहे है। यह सभी जरूरी सेवा मरीजों को मिल रही है। स्वास्थ्य एक अनिवार्य सेवा है, जिसे बाधित किए जाने पर बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। इसलिए इस सेवा में जुटे लोग खुद से ज्यादा महत्व दूसरों की जान बचाने को देते हुए अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। धमतरी जिला अस्पताल में करीब 15 डॉक्टर और 100 लोगों का स्टाफ है, जिसमें नर्स, वार्ड ब्वाय, टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, लिपिक, ऑपरेटर, सफाई कर्मचारी आदि शामिल है। सभी अपनी सेवा देने रोज अस्पताल पहुंच रहे हैं हालांकि काम के दौरान इन्हें भी कोरोना का डर सताता रहता है क्योंकि कोरोना का खतरा सबसे ज्यादा अस्पतालों में ही है। फिर देश के अन्य प्रदेशों में डॉक्टरों के व अस्पताल के कर्मचारियों के संक्रमित होने का मामला सामने आ चुका है, इसके बावजूद डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों का सेवा कार्य मे डटे रहना उनकी कर्तव्य पराणयता को दर्शा रहा, वहीं इसे मरीजों के लिए एक वरदान की तरह माना जा रहा है।

अपनी सुरक्षा का भी रख रहे ख्याल

मरीजों की सेवा में जुटे डॉक्टरों के द्वारा अपनी सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। सभी डॉक्टरों व अस्पताल के अन्य कर्मचारियों को मास्क व ग्लब्स पहनकर काम करते देखा जा रहा है। इसके अलावा जो भी मरीज आ रहा उसे हाथ धुलाकर अथवा सैनीटाइजर के इस्तेमाल के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। इधर अस्पताल सूत्रों ने बताया कि शासन ने अब तक उच्च क्वालिटी का मास्क नहीं भेजा है। चूंकि कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा अस्पताल में है, इसलिए यहां उच्च क्वालिटी के मास्क की दरकार है।

बच्चों से मिलने में लगता है डर

अस्पताल के डॉक्टर व नर्स इस वैश्विक महामारी के समय भी समर्पित होकर मरीजों की सेवा में जुटे हुए है, पर अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर वे बेहद चिंतित भी है। एक डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में काम करके जब घर लौटते है तो अपने बच्चों से मिलने में डर लगता है। यह डर इस बात का रहता है कि कहीं किसी मरीज के सम्पर्क में आकर कोरोना संक्रमित हो गए तो बच्चे भी संक्रमित हो जाएंगे। इसलिए घर आकर किसी से मुलाकात किये बिना सीधा नहाने चले जाते है, फिर भी परिवार की सुरक्षा को लेकर एक डर बना हुआ है। लोगो की सेवा करना उद्देश्य है, इस मुश्किल घड़ी में देश को डॉक्टरों की आवश्यकता है|

लोग कर रहे सेवाभाव की सराहना

कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा अस्पतालों में माना जा रहा है, इसके बावजूद खतरे से जूझते हुए डॉक्टर व अस्पताल के अन्य स्टाफ के द्वारा जो सेवा की जा रही उसकी लोग सराहना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि मुश्किल की इस घड़ी में डॉक्टर मरीजों के लिए भगवान की तरह है, जहां लोग दहशत के कारण घर से बाहर तक नहीं निकल रहे वहां डॉक्टरो के द्वारा अस्पताल में ड्यूटी देना मरीजों के लिए बड़ी राहत प्रदान करने वाला है। वहीं शासन से मांग की जा रही कि कोरोना से धमतरी को महफूज रखने जो डॉक्टर व अन्य स्टाफ प्रयास कर रहे उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए हर जरूरी उपकरण मुहैया कराया जाए।

कोरोना के लक्षण पर खास नजर

जिला अस्पताल में सामन्य सभी बीमारियों का उपचार बाकी दिनों की तरह ही चल रहा है लेकिन डॉक्टरों की खास नजर कोरोना संक्रमण का लक्षण नजर आने पर है। अगर किसी भी मरीज को लंबे समय से खांसी, सर्दी, जुकाम गले में खरास, बदन दर्द जैसी शिकायत है तो डॉक्टरों के द्वारा उसका सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जा रहा है। कोरोना के लक्षण पर खास नजर रखने का कारण है कि अगर किसी मरीज को कोरोना है तो समय रहते ही उसका उपचार शुरू किया जाए ताकि ना सिर्फ मरीज जल्दी ठीक को बल्कि उसके संपर्क में आने के चलते अन्य लोगों को भी कोरोना होने से बचाया जा सके। शासन का डॉक्टरों को निर्देश है कि किसी भी मरीज में कोरोना का लक्षण नजर आने पर उसका सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जाए।

68 रिपोर्ट निगेटिव आने से राहत

धमतरी में अब तक कोरोना का एक भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिला।कोरोना से जंग में जिला प्रशासन की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। अब तक 68 लोगों की जांच की गई, जिसमें सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। जिनकी जांच की गई उनमें अधिकांश ऐसे हैं जो विदेश यात्रा करके आए थे। विदेशों में संक्रमण ज्यादा है इसलिए विदेश से आए सभी की जांच की गई। इसके अलावा जिन मरीजों में कोरोना का लक्षण नजर आ रहा था उनका सैंपल भी लिया गया। किसी की भी रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आने से धमतरी के आम नागरिक भी राहत महसूस कर रहे है। स्वास्थ विभाग के द्वारा कोरोना को गंभीरता से लेकर इसकी रोकथाम के लिए हर जरूरी कदम उठाया जा रहा है। जल्द ही धमतरी में एक कोविड अस्पताल बनाने की भी तैयारी है।

घर पहुंचकर भी कर रहे जांच

कोरोना वायरस को स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल भी हल्के में नहीं ले रहा है। धमतरी का जो भी व्यक्ति विदेश से आया है उसे क्वॉरेंटाइन सेंटर में तथा जो लोग दूसरे प्रदेशों से आए हैं उन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है क्योंकि उनमें कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा है। इनके घर के आसपास रहने वाले 50 घरों की भी जांच कराई गई, स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच के लिए बकायदा घर पहुंच रही, अब तक करीब 80 घरों में पहुंचकर जांच की गई है। जांच के दौरान कोई संदिग्ध मरीज नहीं मिला, लोगो की लिस्ट तैयार की गयी है, जिसकी कभी जरूरत पड़ सकती है।

कोरोना से लड़ने का जज्बा भी पैदा कर रहे डॉक्टर

डॉक्टरों के द्वारा न सिर्फ खुद सेवा कार्य किया जा रहा है बल्कि दूसरों में भी कोरोना से लड़ने का जज्बा पैदा करने का काम डॉक्टर कर रहे हैं। इसका उदाहरण है कि जिला अस्पताल के डॉक्टर राकेश सोनी ने रात में करीब 1:30 बजे ड्यूटी करते हुए अपना वीडियो बनाकर फेसबुक में पोस्ट किया, जिसके माध्यम से यह संदेश दिया कि कोरोना के खिलाफ जंग में स्वास्थ्य अमला पूरी तरह से अलर्ट हैं। लोग बिल्कुल भी ना घबराए, साथ ही शासन के निर्देशों का पालन करें, लॉकडाउन के दौरान घरों से बाहर ना निकले। घर पर ही रहे ताकि कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा न रहे। अस्पताल आने वाले लोगों को भी कोरोना के संबंध में जानकारी देकर उन्हें बचाव का तरीका बताया जा रहा हा।

बच्चों को अस्पताल न आना पड़े इसके लिए मोबाइल से इलाज

कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने से लोगों को बचाने के लिए डॉक्टरों के द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अखिलेश देवांगन ने एक नई पहल की है। कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बच्चों में ज्यादा रहता है, इसलिए डॉक्टर अखिलेश देवांगन ने लोगों से अपील की है कि बच्चों को सामान्य कोई बीमारी होने पर अस्पताल लाने की बजाय मोबाइल नंबर में संपर्क करें। मोबाइल में ही बच्चे के संबंध में जानकारी लेकर सामान्य बीमारी होने पर प्रिसक्रिप्शन दिया जाएगा। जिससे बच्चों को अस्पताल लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उनमें कोरोना वायरस के संक्रमण में आने का खतरा नहीं रहेगा। शिशु रोग विशेषज्ञ की इस पहल किलोग सराहना कर रहे हैं।

मरीजों के लिए पूरी तरह समर्पित है डॉक्टर वानखड़े

अपने सेवाभाव के कारण एमडी मेडिशिन डॉक्टर संजय वानखड़े लोगो मे काफी लोकप्रिय है। उनका ट्रांसफर होने पर शहर में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया व रैली निकाली गई थी, बाद में शासन ने उन्हें वापस धमतरी भेज दिया। डॉ वानखड़े कोरोना से जंग के इस समय मे भी समर्पित होकर कार्य करते नजर आ रहे है। दो बार वार्डो में राउंड मारकर भर्ती मरीजों का हाल जानते है, वही ओपीडी में भी सबसे ज्यादा नजर डॉ वानखड़े के पास नजर आते है।