कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर भक्तों में उत्साह , दो दिन मनाई जा रही जन्माष्टमी

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नगर के कृष्ण मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया

धमतरी| भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में सभी रम गए हैं। कृष्ण जन्मोत्सव की  तिथि को लेकर भक्तो  में असमंजस की स्थिति  है | कुछ जगह 11 और कुछ जगहों पर 12 अगस्त  को  जन्माष्टमी मनाई जा रही है |नगर के कृष्णा मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है |शहर से लेकर गांवो तक कृष्ण जन्मोत्सव  को  लेकर खासा उत्साह है |  श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास के अध्यक्ष डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि सदर बाजार स्थित बांके बिहारी मंदिर में बुधवार को जन्माष्टमी आयोजित है |कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सांस्कृतिक व विशेष धार्मिक कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है |12 अगस्त को प्रातः 7 बजे से रात्रि 8 बजे तक मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुला रहेगा| मंदिर प्रांगण में विशेष रूप से लाइटिंग एवं पुष्प आदि से सजाया जा रहा है |रात्रि 12 बजे भगवान के जन्मबेला तक स्थानीय श्रद्धालु भक्तो द्वारा भजन गायन चलेगा |भगवान के जन्म आयोजन के पश्चात मंगल आरती होगी| इसी तरह रुद्रेश्वर घाट स्थित कृष्ण मंदिर में कृष्ण  जन्मोत्सव सादगी के साथ मनाई जाएगी| समिति के  कोषाध्यक्ष विजय यादव ने बताया कि  कोरोना  के प्रभाव को देखते हुए मंदिर में  सिर्फ पूजा अर्चना  होगी|  रात्रि  12 बजे भगवान  का जन्मोत्सव  मनाया जायेगा |

श्री कृष्ण  जन्मोत्सव के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। हालांकि इस बार कोरोना वायरस महामारी के कारण मंदिरों में बड़े आयोजन नहीं होगे। 11 अगस्त और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी मनाई जा रही है। हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखने के साथ ही भजन-कीर्तन और विधि-विधान से पूजा करते हैं।  ज्योतिषियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय  रात 12 बजे अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था। इसलिए इसी नक्षत्र और तिथि में जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस बार 11 अगस्त को जन्माष्टमी तिथि सुबह लग जाएगी, जो 12 अगस्त को सुबह 11 बजे रहेगी, वहीं रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को लग रहा है। ऐसे में सभी कंफ्यूज हैं | कई ज्योतिषियों ने इसके लिए बताया कि जब उदया तिथि हो यानी जिस तिथि में सूर्योदय हो रहा हो, उस तिथि को ही जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसलिए इस बार ज्योतिषियों के अनुसार जन्माष्टमी का दान 11 अगस्त को और 12 अगस्त को पूजा और व्रत रखा जा सकता है।
कहा  जाता  है कि भगवान श्रीकृष्ण को  मक्खन और मिश्री बेहद प्रिय हैं। ऐसे में इनका भोग विशेष लाभकारी है।  विशेष मुहूर्त में पूजन भगवान श्री कृष्ण की विशेष अनुकंपा का योग बनाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन कृतिका नक्षत्र रहेगा।

ऐसे करें पूजा
चौकी में लाल वस्त्र बिछाएं और भगवान कृष्ण के बालस्वरूप को पात्र में रखें।   फिर लड्डू गोपाल को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।
भगवान को नए वस्त्र पहनाएं।  अब भगवान को रोली और अक्षत से तिलक करें। अब लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाएं। श्रीकृष्ण को तुलसी का पत्ता भी अर्पित करें। भोग के बाद श्रीकृष्ण को गंगाजल भी अर्पित करें।  हाथ जोड़कर अपने आराध्य देव का ध्यान लगाएं।

पूजा की विधि

पूजा से पहले स्नान जरूर करें. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का विधान है| पूजा करने से पहले भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान जरूर करवाएं| स्नान के बाद भगवान को वस्त्र पहनाएं| ध्यान रहें कि वस्त्र नए हो. इसके बाद उनका श्रृंगार करें| भगवान को फिर भोग लगाएं और कृष्ण आरती गाएं|