कारोबार जगत को सरकार की तरफ से 2 लाख करोड़ का दिवाली तोहफा, 10 सेक्टर को मिलेगा PLI का लाभ 

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नई दिल्ली | कोरोना से परेशान देश के उद्योग जगत को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने इंडस्ट्री के लिए 2 लाख करोड़ रुपये के नए पैकेज की घोषणा की है. सरकार ने 10 सेक्टर को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) देने का फैसला किया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैबिनेट के निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार कुल 10 सेक्टर को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन देने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की वायबिलिटी गैप फंडिंग के लिए अगले पांच साल में 2 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी. उन्होंने कहा कि इससे नौकरियों का सृजन होगा, उभरते हुए सेक्टर को सपोर्ट मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा. गौरतलब है कि कोरोना से परेशान देश की जनता और इंडस्ट्री को राहत देने के लिए सरकार लगातार राहत पैकेज दे रही है. इसे एक और राहत पैकेज कहा जा सकता है. 

इन सेक्टर को मिलेगी राहत 

उन्होंने बताया कि जिन सेक्टर को राहत मिलेगी उनमें एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी (18,100 करोड़ रुपये), इलेक्ट्रॉनिक ऐंड टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट (5000 करोड़ रुपये), ऑटोमोबाइल और ऑटो  कम्पोनेंट्स (57,042 करोड़ रुपये), फार्मास्यूटिकल ड्रग्स (15,000 करोड़ रुपये), टेलीकॉम एवं नेटवर्किंग प्रोडक्ट (12,195 करोड़ रुपये), टेक्सटाइल उत्पाद (10,683 करोड़ रुपये), फूड प्रोडक्ट्स (10,900 करोड़ रुपये), सोलर पीवी मॉड्यूल्स (4,500 करोड़ रुपये), व्हाइट गुड्स (6,238 करोड़ रुपये) और स्पेशलिटी स्टील (6,322 करोड़ रुपये) शामिल हैं. 

क्या होता है पीएलआई 

गौरतलब है कि सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और निर्यात बिल में कमी लाने के लिए इस साल मार्च में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) का ऐलान किया था. इसके तहत देश के कारखानों में बनने वाले उत्पादों की बिक्री में बढ़त के आधार पर कंपनियों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इससे विदेशी कंपनियां भी भारत में कारखाने लगाकर उत्पादन करने को प्रोत्साहित होती हैं. इसके पहले इस योजना का लाभ मोबाइल हैंडसेट और दवा कंपनियों को दिया जा चुका है.  इससे खासकर देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को राहत मिलेगी और उसमें तेजी आएगी, जिसका कि जीडीपी में करीब 16 फीसदी का योगदान है. इससे भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को दुनिया में प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकेगा. इससे निर्यात को भी बल मिलेगा.