दिल्ली | 13 साल पहले आज (24 सितंबर) ही टीम इंडिया ने टी20 प्रारूप में इतिहास रचा था. 2007 में इसी दिन जोहानिसबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को धूल चटाकर भारतीय टीम टी-20 वर्ल्ड कप के पहले संस्करण की चैम्पियन बनी थी. महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम 1983 के बाद किसी विश्व खिताब पर कब्जा जमाने में कामयाब हुई थी. पूरे टूर्नामेंट के दौरान टीम इंडिया का प्रदर्शन लाजवाब रहा था. फिर भी भारतीय टीम की इस शानदार जीत में कुछ खिलाड़ियों का बड़ा योगदान रहा, जिनके बिना हम वह खिताब नहीं जीत पाते.
इनका प्रदर्शन लाजवाब: पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में गौतम गंभीर ने 75 रनों की पारी खेलकर भारतीय पारी संभाली थी. वह गंभीर की ही पारी थी, जिसकी मदद से टीम ने 157/5 रन का स्कोर खड़ा किया था. .इरफान पठान ने शानदार प्रदर्शन किया. खासकर फाइनल के अपने कोटे के 4 ओवरों में 16 रन देकर 3 विकेट चटकाए थे. जिसकी बदौलत वह फानल में मैन ऑफ द मैच बने थे.आरपी सिंह ने पूरे टूर्नांमेंट के 7 मैचों में 12 विकेट चटकाए थे. द.अफ्रीका के खिलाफ उनकी गेंदबाजी (4-0-13-4) की बदौलत भारत ने सेमीफाइनल में जगह पक्की की थी. फाइनल में भी पाकिस्तान को 3 विकेट झटके दिए थे.
.. लेकिन जोगिंदर शर्मा बन गए हीरो-
उस फाइनल के आखिरी ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रन चाहिए थे. कप्तान धोनी ने नौसिखिए गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को गेंद थमा दी. भारतीय फैंस की सांसें मिस्बाह उल हक के क्रीज पर होने की वजह से अटकी हुई थीं. हर तरफ सवाल उठने लगे- आखिर जोगिंदर को गेंदबाजी क्यों दी गई..? लेकिन उस निर्णायक ओवर ने इस नए नवले तेज गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को रातों रात स्टार बना दिया.