अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में हुआ छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश राज्यों की संस्कृति और साहित्य पर मंथन
नगरी| देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञ वक्ताओं ने भाग लिया। यह संगोष्ठी छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश राज्यों की संस्कृति और साहित्य पर केंद्रित थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थाध्यक्ष ब्रजकिशोर शर्मा थे। प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट वक्ता डॉ शैल चंद्रा सिहावा नगरी छत्तीसगढ़ थीं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् डॉ शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख पुणे, वरिष्ठ पत्रकार डॉ शंभू पवार, राजस्थान, डॉ आशीष नायक रायपुर वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार एवं अनुवादक सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे, महासचिव डॉ प्रभु चौधरी थे | यह आयोजन दोनों राज्यों के स्थापना दिवस के अवसर पर हुआ।
छत्तीसगढ़ मां का लोक में प्रचलित रूप इस क्षेत्र के लोगों की परिश्रमशीलता के साथ प्रकृति एवं संस्कृति की आपसदारी को जीवन्त करता है। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की पुरा सम्पदा के अन्वेषण और संरक्षण के लिए व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने अपने व्याख्यान में राजिम, सिरपुर, फिंगेश्वर, चंपारण आदि प्रमुख पर्यटन स्थलों की विशेषताओं को उद्घाटित किया। चंपारण महाप्रभु वल्लभाचार्य के प्राकट्य स्थल होने के कारण देश दुनिया में विख्यात है, जिन्होंने पुष्टिमार्ग का प्रवर्तन किया था। डॉक्टर शैल चंद्रा सिहावा नगरी छत्तीसगढ़ ने कहा कि छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत में समृद्व है। राज्य का सबसे प्रसिद्ध नृत्य नाटक पंडवानी है, जो महाकाव्य महाभारत का संगीतमय वर्णन है। छत्तीसगढ़ भगवान राम की कर्मभूमि है। इसे दक्षिण कोशल कहा जाता है। यहां ऐसे भी प्रमाण मिले हैं, जिनसे यह प्रतीत होता है कि श्रीराम जी की माता छत्तीसगढ़ की थीं। बलौदाबाजार जिले में स्थित तुरतुरिया में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है। माना जाता है वह लव कुश की जन्म स्थली है| प्राचीन कला, सभ्यता, संस्कृति, इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से छत्तीसगढ़ अत्यंत सम्पन्न है। यहां के जनमानस में अतिथि देवो भव की भावना रची बसी है। यहां के लोग शांत और भोले भाले हैं। तभी तो कहा जाता है, छतीसगढ़िया सबले बढ़िया। यहां के लोग छत्तीसगढ़ को महतारी का दर्जा देते हैं। डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख पुणे ने अपने व्याख्यान में कहा कि मध्यप्रदेश भारत का एक ऐसा राज्य है, जिसकी सीमाएं उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान इन पांच राज्यों से मिलती है। पर्यटन की दृष्टि से यह राज्य अपनी महत्ता रखता है। छत्तीसगढ़ भारत का ऐसा 26 वाँ राज्य है, जो पहले मध्यप्रदेश के अंतर्गत था। इस राज्य को महतारी अर्थात मां का दर्जा दिया गया है। यह राज्य दक्षिण कोशल कहलाता था, जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने कारण छत्तीसगढ़ बन गया है। वैदिक और पौराणिक काल से विभिन्न संस्कृतियों का केंद्र छत्तीसगढ़ रहा है। इस राज्य ने शीघ्र गति से अपनी प्रगति साधी है। वरिष्ठ पत्रकार डॉ शम्भू पवार पिड़ावा राजस्थान ने कहा कि मध्यप्रदेश राज्य के हिस्से को अलग करके 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया था। छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास बहुत ही गौरवशाली है। छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत में समृद्ध है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति पूरे भारत में अपना विशेष महत्व रखती है। यहां के लोक गीत व नृत्य बेमिसाल हैं। छत्तीसगढ़ के लोक गीतों में पंडवानी, जसगीत, भरथरी, लोकगाथा, बांस गीत, करमा, ददरिया, डंडा, फाग आदि बहुत ही लोकप्रिय है। लयबद्ध लोक संगीत,नृत्य, नाटक को देख कर आनंद की अनुभूति होती है। छत्तीसगढ़ धान की उपज की दृष्टि से दुनिया का दूसरा प्रमुख राज्य है। यहां धान की 23 हजार किस्में हैं। इतनी देश में किसी भी राज्य में नहीं है। दुनिया भर में केवल फिलीपींस ऐसा देश है, जिसमें धान की 26 हजार किस्में है। छत्तीसगढ़ की धान की किस्में औषधीय गुणों से भरपूर है। कुछ किस्में खुशबू के लिए जानी जाती है, तो कुछ मधुमेह रोगियों के लिए लाभप्रद है। डॉ आशीष नायक रायपुर ने राष्ट्र के विकास में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की भूमिका पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की छत्तीसगढ़ प्रदेश सचिव श्रीमती पूर्णिमा कौशिक ने छत्तीसगढ़ का राज्य गीत प्रस्तुत किया। इस गीत की पंक्तियां थीं, अरपा पैरी के धार, अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार। इँदिरावती हा पखारय तोर पईयां, महूं पांवे परंव तोर भुँइया। जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया। संस्था एवं आयोजन की संकल्पना का परिचय संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने देते हुए छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्था के उद्देश्य और भावी गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला। डॉ सीमा निगम रायपुर ने अतिथि के प्रति स्वागत उद्गार व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की सभी को शुभकामनाएं दी |राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ सुवर्णा जाधव मुंबई, डॉ भरत शेणकर अहमदनगर, डॉ लता जोशी मुंबई, डॉ आशीष नायक रायपुर, डॉ प्रवीण बाला पटियाला, डॉ मुक्ता कौशिक, डॉ रिया तिवारी, डॉ सीमा निगम, जितेंद्र रत्नाकर रायपुर, डॉक्टर समीर सैयद अहमदनगर, पूर्णिमा कौशिक रायपुर, डॉ रोहिणी डाबरे अहमदनगर, डॉ हंसमुख रायपुर, डॉ अमित शर्मा ग्वालियर आदि सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे। संगोष्ठी के प्रारंभ में सरस्वती वंदना श्रीमती पूर्णिमा कौशिक रायपुर ने की। संस्था का प्रतिवेदन डॉ रिया तिवारी रायपुर ने प्रस्तुत किया। अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का संचालन संस्था की महासचिव डॉ मुक्ता कौशिक रायपुर ने किया। आभार प्रदर्शन संस्था की डॉक्टर स्वाति श्रीवास्तव ने किया।