किसान विरोधी कृषि बिल वापस ले सरकार: अधिवक्ता शत्रुहन सिंह  

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धमतरी | अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू प्रदेश सह संयोजक आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ ने  बताया कि केंद्र सरकार  द्वारा वर्तमान में तीन नए  बिल पास किए जिस पर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है | सरकार द्वारा पारित की गई तीनों विधेयक  कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल,   आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल,  मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल है |केंद्र सरकार  द्वारा इन विधायकों के संबंध में जो बातें कहीं जा रही है वह किसानों कोगुमराह करने वाली है इससे किसानों को पूरा नुकसान होगा | उनकी उपज पर बड़ी-बड़ी कंपनियों और बिचौलियों का कब्जा हो जाएगा | एक तरीके से किसान अपने ही खेत पर मजदूर की तरह हो जाएंगे  |सरकार की मंशा किसानों को बड़ी-बड़ी कंपनियों के गुलाम बनाने का प्रतीत होता है | श्री साहू ने कहा कि   कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल के बारे में सरकार का कहना है कि   किसान अपनी उपज मंडी के बाहर कहीं भी बेच सकते हैं परंतु किसानों को मंडी के बाहर अपनी फसल बेचने के लिए कभी भी पाबंदी नहीं रही है | सरकार द्वारा किसानों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है | मंडी के बाहर प्राइवेट मंडिया बनाई जाएगी | सरकारी मंडियों में सरकार को देने वाली टैक्स के कारण व्यापारी आना बंद कर देंगे जिससे धीरे-धीरे सरकारी मंडी बंद हो जाएगी और उनके स्थान पर कंपनी की मंडियां ले लेगी जहां किसानों को उत्पादन औने पौने दामों पर बेचना पड़ेगा |सरकार को किसानों के हित में यदि फैसला लेना ही था तो एमएसपी का कानूनी अधिकार प्रदान करना था किंतु ऐसा नहीं किया | आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल  के जरिए कृषि उत्पादों को भंडारण करने का कानूनी अधिकार मिल जाएगा जिससे जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी उत्पादन की कीमत पर सरकार का कंट्रोल नहीं रहेगा क्योंकि देश में लगभग 80% से 85% तक सीमांत किसान है जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम की कृषि भूमि है जिनके पास अपने फसल का भंडारण करने की कोई व्यवस्था नहीं है | इतनी कृषि भूमि का उत्पादन लेकर कोई किसान दूसरे राज्यों में फसल बेचने में भी सक्षम नहीं है |इससे  किसान अपनी फसल  औने  पौने दामों पर कंपनियों को बेचारे मजबूर हो जाएंगे | मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता इस विधेयक के जरिए किसान के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर कंपनियां जमींदार की तरह किसानों से फसल उत्पादन करवायेंगी और मुनाफा कमायेंगी| इस प्रकार वर्तमान तीनों कृषि विधायक किसानों के हित में नहीं है यह किसानों को पुनः कंपनियों के गुलाम बनाने जैसा है जिसमें किसान अपने ही खेत पर मजदूर हो जाएंगे | बाजार पर सरकार का नियंत्रण खत्म हो जाएगा  और कंपनी राज  की  स्थापना हो जाएगी  | इसलिए किसान हित में इस बिल को वापस लिया जाए|