हिंदी राष्ट्रीय एकता की पहचान : हिंदी दिवस पर विशेष

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राजेश रायचुरा 

धमतरी | हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है| 14 सितंबर सन 1949 को हिंदी को देश की राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ था| आज के समय में हिंदी भाषा पिछड़ती जा रही है | इसका एक प्रमुख कारण यह है कि लोगों में अंग्रेजी के प्रति रुझान है | हम हिंदी को भूलते जा रहे हैं | हिंदी को बचाने खूब ढोल नगाड़े भी पीटे जाते हैं| इस दिन हिंदी को सम्मान देने सरकारी आयोजन होते हैं लेकिन उसके बाद भुला दिया जाता है | हिंदी के अस्तित्व पर आज भी सवाल  उठाये जाते हैं  | इसके लिए कौन जिम्मेदार है| हिंदी की सार्थकता और हिंदी दिवस मनाने के उद्देश्य को लेकर 493773 News For  Everyone  ने  हिंदी जगत से  जुड़े शिक्षाविद,   गणमान्य नागरिकों से चर्चा की।

पीजी कॉलेज की प्राचार्य  श्रीमती श्रीदेवी चौबे ने कहा कि हिंदी देश की मातृभाषा, अभिव्यक्ति का माध्यम ही नहीं है बल्कि देश को एक सूत्र में पिरोने का काम भी करती है | हिंदी के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी| खासकर युवाओं को आगे आना होगा। अंग्रेजी के बराबर इसे खड़ा करने के लिए अंग्रेजी के प्रति अपना मोह त्यागना पड़ेगा |  इसका मतलब यह नहीं कि हम अंग्रेजी को परिष्कृत करें |

इंग्लिश एक इंटरनेशनल लैंग्वेज है | जब हम विदेश जाते हैं तो वहां इंग्लिश की जरूरत पड़ती है | इस स्थिति में इंग्लिश का ज्ञान भी होना जरूरी है| हिंदी भाषा के लिए हमें व्यापक कार्य योजना बनाने की जरुरत है । उन्होंने आगे कहा कि हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गंभीर है | विदेशों में वे अपना  भाषण हिंदी में ही देते  हैं |प्रधानमंत्री ने विदेशों में भी हिंदी का मान बढ़ाया है | उन्होंने आगे कहा कि हिंदी राष्ट्रीय एकता की पहचान है| हिंदी शब्दकोश बहुत बड़ा है | सभी  भाषाओं का समावेश ही  राष्ट्रभाषा और  राष्ट्रीयता  की पहचान है | हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो आसानी से लोगों को समझ में आ जाती है | ऐसा नहीं है कि हमारी हिंदी विदेशों में पिछड़ी है |आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी अपनी अमिट छाप छोड़ रही ही है | आज विदेशों में कई प्रोग्राम हिंदी में हो रहे  है | कवि कुमार विश्वास विदेशों में अपना प्रोग्राम हिंदी में देते हैं | विदेशों में हिंदी को बढ़ावा देने कलाकार भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं| उन्होंने आगे कहा कि हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं है एकअहसास भी है| हिंदी को अन्य भाषाओं के समक्ष खड़ा करने के लिए देश के सभी कार्यालयों में कामकाज हिंदी में होना चाहिए | हिंदी के साथ ही इसकी सहायक भाषाओं या बोलियों को आगे बढ़ाने की दिशा में सरकार को पहल करनी चाहिए | उन्होंने आगे कहा कि  हिंदी बोलने में उन्हें आत्मिक शांति मिलती है साथ ही गर्व भी होता है कि हम एक हिंदुस्तानी है | हिंदी बोलने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए बल्कि गर्व महसूस करना चाहिए |

 श्रीमती  सरिता दोशी  ने कहा कि हिंदी एक सरल भाषा है जो आसानी से लोगों की समझ में आ जाती है | भाषा को संप्रेषित करने का एक सशक्त माध्यम है |आज हिंदी भाषा भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पसन्द की जा रही है | हिंदी एक ऐसी भाषा है जो हमें एक दूसरे को जोडने का काम करती है |

आज विदेशी लोग हिंदी भाषा को सीखने के लिए लालायित रहते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि आज हिंदुस्तान के लोग हिंदी छोड़कर अंग्रेजी की ओर भाग रहे हैं | अंग्रेजी जानना जरुरी है लेकिन हिंदी से मुंह न मोड़े |उनका सम्मान करें| हिंदी हमारे देश की शान है और उनकी रक्षा की जिम्मेदारी भी हमारी है | उन्होंने आगे कहा कि आज के युवाओं  में अंग्रेजी का  क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है लेकिन इंग्लिश के इस चकाचौंध के बीच हमें हिंदी को नहीं भूलना है |आज हिंदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना प्रभाव छोड़ रही है | विदेशों में हिंदी के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए हिंदी भाषा से जुड़ी अनके संस्थाएं काम कर रही है | इंटरनेट  के  माध्यम से भी विदेशों में हिंदी साहित्य का प्रचलन बढ़ा है | उन्होंने आगे कहा कि हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए  प्राथमिक स्तर पर  ही प्रयास  होने  चाहिए|  इससे बच्चों में हिंदी सीखने के प्रति ललक और जिज्ञासा बढ़ेगी | सभी स्कूलों में हिंदी की शिक्षा अनिवार्य  की  जानी  चाहिए | उन्होंने आगे कहा कि पहले की तुलना में आज हिंदी बेहतर हुई है | आज विश्व पटल पर  हिंदी की चर्चा हो रही है| यह हमारे के लिए  गर्व की बात है | हिंदी  ने हमें अंतरराष्ट्रीय  स्तर  पर  पहचान दी है | हमें इनके सम्मान के लिए तत्पर रहना होगा| प्रचार-प्रसार के लिए युवा को महत्वपूर्ण भूमिका  निभानी होगी तभी हमारे  हिंदी दिवस मनाने का औचित्य  है| 

शासकीय  उच्चतर  माध्यमिक विद्यालय भोथली  में पदस्थ  व्याख्याता गणेश प्रसाद साहू ने कहा  कि  विश्व  में भारत  ही  एक ऐसा देश है जो अपनी राष्ट्र भाषा को  पूरा सम्मान देता है | लेकिन  यह चिंता का विषय भी है  कि  हमारी राष्ट्रभाषा  हिंदी का अस्तित्व  खतरे में है | इसे बचाने व इनके सम्मान के लिए हमें आगे आना होगा | सार्वजनिक स्थानों  और सरकारी कार्यालयों में  हिंदी भाषा का उपयोग  अधिक से अधिक से हो  तथा  लोग  इसे  दिल से आत्मसात करें | उन्होंने आगे कहा कि अक्सर देखा जाता है कि  इन्टरव्यू  के  दौरान  इंग्लिश  को  तवज्जो दी जाती है | हिंदी को नकार दिया जाता है | लेकिन  हम  ज्ञान को  भाषा के बंधन में नहीं  बाँध सकते |  कोई  अपने ज्ञान को अपनी मातृ भाषा में अच्छे से  व्यक्त कर सकता है | 

इसलिए इन्टरव्यू में  हिंदी को भी उतना ही महत्व दिया  जाना चाहिए  जितना अंग्रेजी को | देश आजाद  होने के बाद भी  उच्च  शिक्षा को अंग्रेजी में रखा | जिसके कारण अंग्रेजी का महत्व  भारत में ज्यादा ही बढ़ गया | भारत के उच्च न्यायालय में  सारा काम अंग्रेजी  में होता है | इसलिए अधिवक्ताओं , सीए को  भी  इंग्लिश  में ही पढाई करनी पड़ती है | भारत में  मेडिकल एवं  इंजीनियरिंग की शिक्षा भी अंग्रेजी में होती है | सरकारी  कार्यालयों  में  हिंदी को लाने का प्रयास विगत कई वर्षो से जारी है | सरकार  को अपने कर्मचारियों को हिंदी सिखाने आर्थिक प्रोत्साहन देना चाहिए | कंप्यूटर इन्टरनेट पर सभी विषयों की जानकारी हिंदी में हो | कर्मचारियों को कंप्यूटर,  स्मार्ट फ़ोन, लैपटॉप के  अलावा हिंदी टाइपिंग में भी दक्ष बनाया जाए | उन्होंने आगे कहा  कि हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा है | स्वाधीनता के लिए जब -जब आन्दोलन हुआ तब- तब  हिंदी की प्रगति का रथ भी  तेजी से आगे बढ़ा | आज  हिंदी  राष्ट्रीय  चेतना का  प्रतीक बन गई है | हिंदी को  राष्ट्र भाषा का  दर्जा दिलाने के लिए  महात्मा गांधी ने  विशेष प्रयास किये | प्राथमिक कक्षा की शिक्षा मातृ भाषा में दी जानी चाहिए | उन्होंने आगे कहा कि  हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ  भारत में ही नही बल्कि विश्व में भी है | हिंदी हर भारतीय को आना चाहिए |