यदि कथा श्रवण गौशाला में किया जाये तो हजारों गुना पुण्य प्रताप की प्राप्ति होगी , पाटेश्वर धाम में पुरुषोत्तम मास कथा का आयोजन

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धमतरी |  पाटेश्वर धाम में चल रही एक माह की पुरुषोत्तम मास की कथा में छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास जी का आगमन हुआ| उन्होंने अपने दिव्य और ओजस्वी वाणी से सभी को अभिभूत किया| महाराज जी ने पुरुषोत्तम मास की कथा में  गोभक्तों एवं पाटेश्वर धाम के संचालक संत श्री बालयोगेश्वर राम बालकदास जी महाराज का अभिवादन करते हुए कहा कि बालयोगेश्वर रामबालक दास महाराज अपने गुरुदेव की कृपा व आशीर्वाद से पाटेश्वर धाम और बालोद जिला ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ प्रदेश  एवं भारत वर्ष के सभी संत समाज में जाना एवं माना जाता है|
पुरुषोत्तम मास का पवित्र माह हमारे हिंदू धर्म में माना गया है इसमें किए गए जप तप का बहुत अधिक महत्व होता है| माना जाता है कि जो व्यक्ति घर में जप तप पूजा पाठ दान करता है वह पुण्य प्रतापी होता है और यदि कथा श्रवण गौशाला में बैठकर जगत माता गौ माता के समक्ष किया जाए तो इसका पुण्य प्रताप हजारों गुना होता है| पाटेश्वर धाम की गौशाला में प्रवचन की श्रृंखला चल रही है और गौ माता के बीच बैठकर कथा श्रवण कर रहे हैं| यह हमारा सौभाग्य है|  गौमाता को विश्व की माता कहा गया है | गौ माता में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास कहा जाता है | यदि हम एक गौ माता की सेवा भी करते हैं तो समस्त देवी देवताओं की पूजा का फल हमें प्राप्त होता है | आज से 23 साल पूर्व 1997 में मेरा आगमन यहां  हुआ था, तब से लेकर आज तक जो पाटेश्वर धाम का कायाकल्प हमने यहां देखा वह अद्भुत है इसके लिए मैं संत राम बालक दास जी के कार्यों की प्रशंसा करता हूं एवं उन्हें धन्यवाद भी प्रेषित करता हूं | कौशल्या माता मंदिर का  निर्माण अद्भुत है और यह एक छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थ की तरह प्रतिष्ठित होगा| छत्तीसगढ़ की प्रथम नंदी शाला का गौरव भी पाटेश्वर धाम को प्राप्त है| यह सब रामबालक दास जी के प्रयास से  हुआ है| यूट्यूब पर प्रवचन बाबाजी की पाती की प्रक्रिया को प्रारंभ किया गया है| आपके द्वारा संचालित किए जाने वाले ऑनलाइन सत्संग को आज पूरे 6 माह पूर्ण हो रहे हैं | कार्यक्रम के अंत में राम बालक दास ने मां कौशल्या जन्मभूमि मंदिर का सुंदर स्मृति चिन्ह देकर महंत जी का सम्मान किया| प्रतिदिन की भांति आज भी ऑनलाइन सत्संग का आयोजन किया गया|आज की सत्संग परिचर्चा में बाबा जी ने विचार व्यक्त किया कि हम अपने व्यवहार को इस प्रकार रखें कि दूसरे के अच्छे गुणों को अपनाएं एवं दूसरों को स्नेह भाव से व्यवहार करें| रिचा बहन ने संसार में जो रिश्ते होते हैं उसमें आत्मिक संबंध किसे कहा जाता है इसे  स्पष्ट करने की विनती बाबा जी से की| बाबाजी ने इस विषय को स्पष्ट करते हुए बताया कि संसार में दो प्रकार के रिश्ते होते हैं एक जो जन्म के बाद बनते हैं और मृत्यु के बाद मिट जाते हैं और दूसरा रिश्ता वह होता है जो जन्म से पहले बनते हैं और मृत्यु के बाद भी अमित होते हैं, जैसे माता-पिता भाई-बहन ऐसे रिश्ते हैं जो जन्म के साथ बनते हैं और मृत्यु के साथ ही खत्म हो जाते हैं लेकिन कुछ संबंध हम परमात्मा के द्वारा बना लेते हैं जो कि हमारे पूर्व जन्म तक हमारे साथ रहते हैं | यदि माता-पिता भाई-बहन के संबंध में हम अपने परमात्मा को देखें और इनको स्वार्थ भाव से ना निभाए और आत्मिक भाव से निभाएं तो यही संबंध आत्मीय संबंध बन जाते हैं|