
मगरलोड के युवा कृषक व अधिवक्ता ने सरकार की धान खरीदी व्यवस्था पर उठाए सवाल
मगरलोड| मगरलोड के युवा कृषक व अधिवक्ता हेमंत सिन्हा ने छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार की लुंज-पुंज व्यवस्था के चलते ब्लाक के अधिकांश सोसायटी में धान की खरीदी रफ़्तार धीमी है| जिससे किसान अपनी उपज बिक्री को सशंकित है| मगरलोड सुदूर वनांचल क्षेत्र है| यहाँ के लोगों की आय का प्रमुख साधन खेती है | खेती किसानी कर वे अपने परिवार का पालन पोषण करते है| उन्होंने आगे कहा कि हल्का पटवारी की गिरदावरी रिपोर्ट में ब्लाक के कई किसानों का रकबा घटा दिया गया है जिससे किसान परेशान है|अब उनके सामने बड़ी समस्या उपज को लेकर हो गई है| रकबा घटने से वे अपनी पूरी फसल नहीं बेच पा रहे हैं |
मजबूरी में उन्हें दलाल, बिचौलियों को बेचना पड़ रहा है जिससे उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है| श्री सिन्हा ने आगे कहा कि कोंडागांव के बडेराजपुर के कृषक धनीराम की मौत को राज्य सरकार शराब पीने से होने से बता रही है | उनका यह बयान निंदनीय है जबकि सच यह है कि गिरदावरी रिपोर्ट में कृषक धनीराम के खेत का रकबा घटा दिया गया| जिससे वे परेशान था | उन्हें आर्थिक दिक्कतें हो रही थी | सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण धनीराम ने आत्महत्या कर ली | उन्होंने आगे कहा कि एक किसान साल भर धूप, ठण्ड, बरसात में कड़ी मेहनत अपने खेत में धान उपजाता है | लेकिन जब उन्हें अपने पसीने की कीमत नहीं मिलती है तो आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाता है | सरकार को इस दिशा में चिंतन करने की जरुरत है | श्री सिन्हा ने आगे कहा कि किसान को धान बेचने के पहले टोकन के लिए कड़ी धूप में लम्बी लाइन लगानी पड़ी | टोकन कटने के बाद अब किसान अपनी उपज बेचने खरीदी केन्द्रों की सुस्त रफ़्तार से परेशान है | धान विक्रय के बाद रकम के लिए सहकारी बैंक का चक्कर कटना पड़ता है | मगरलोड मुख्यालय की दूरी 40 -50 किलोमीटर होने के कारण कई किसानों को रात्रि में सफर तय कर जाना पड़ता है |उन्होंने शासन प्रशासन से इन समस्याओं से निजात दिलाने की मांग की है |