हारे के सहारे बाबा श्याम के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव : सातवां दिवस

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हारे के सहारे बाबा श्याम के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रतिष्ठित होने वाली मूर्तियों का सातवें दिन विधि विधान से पूजा अर्चना कर फलाधिवास किया गया| जजमान परिवार श्याम अग्रवाल ,रामचरण अग्रवाल, ताराचंद गोयल, शरद गोयल, विष्णु अग्रवाल ,नरेश अग्रवाल ,संजय अग्रवाल थे |

सुबह 9:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक मंत्र उच्चारण के साथ पूजा-अर्चना हुई और फलों से अभिषेक किया गया |

विद्वान श्रीकांत त्रिपाठी व उनकी पुत्री सुश्री शीघ्रता द्वारा 3:00 बजे से लेकर 7:00 बजे तक रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया।

श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया ।

धमतरी | श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए। प्रसंग में शास्त्री ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया।

रात्रि 8:00 बजे कोलकाता से पधारे श्री नितेश शर्मा ने अपने मधुर कंठ से भजनों की गंगा बहाई  श्री श्याम मंदिर चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव सुरेश गोयल ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के कार्यक्रम चलते हुए आज सातवां दिन है ,हर दिन श्रद्धालुओं में उत्साह पहले दिन से अधिक रहता है , ढोल बैंड बाजा के साथ कृष्ण जी की बारात निकाली गई , राधा कृष्ण की वरमाला हुई, और बधाई बांटी गई|

श्याम प्रेमी ममता अग्रवाल ने बताया कि श्री कृष्ण जी का छप्पन भोग लगाया गया, छप्पन भोग के बारे में बताते हुए कहा कि इंद्र के प्रकोप से ब्रज वासियों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब उन्हें लगातार 7 दिन तक भूखा रहना पड़ा था इसके बाद उन्हें 7 दिनों आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाये  गये , माना जाता है तभी से 56 भोग की परंपरा की शुरुआत हुई है| इस अवसर पर  श्याम अग्रवाल,रामचरण अग्रवाल ,नानक चंद अग्रवाल, अजय गोयल ,विष्णु अग्रवाल,नरेश अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल ,राजेश शर्मा, जिग्नेश ठक्कर ,मनसुख अग्रवाल, विमल अग्रवाल ,आकाश अग्रवाल, घनश्याम गोयल, शरद अग्रवाल, अनिल अग्रवाल ,हर्षद मेहता ,दयाराम अग्रवाल, रतन लाल अग्रवाल, निर्मल गुप्ता, एसके अग्रवाल , शरद गोयल, ताराचंद गोयल, प्रतीक अग्रवाल ,सनी अग्रवाल ,राजा अग्रवाल, राहुल दीवान,अमन अग्रवाल ,महिलाओं में ममता अग्रवाल , पायल गोयल, संतोष अग्रवाल, सुशीला गोयल ,ललिता अग्रवाल ,आशा श्रुति ,आशा खंडेलवाल , रिंका गिनोरिया , सुधा अग्रवाल ,स्वर्ण लता गोयल ,सरिता लांट, वर्षा खंडेलवाल, प्रीति गुप्ता, दिव्या अग्रवाल, वर्षा अग्रवाल, रामा अग्रवाल, आदि के साथ बहुत अधिक संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे |