
धमतरी । समझदार, भरोसेमंद और इंसानों के मददगार जानवरों में हाथी भी शुमार है।प्राचीन काल से ही मानव के विकास में हाथियों का भी योगदान रहा है. चाहे युद्ध हो या कोई भारी काम, इंसानों ने उनसे काफी मदद ली है।इंसानों और हाथियों के संबंधों पर काफी पहले एक फिल्म भी आयी थी “हाथी मेरे साथी”. बदलते वक्त के साथ इंसानों की फितरत भी बदली अब इंसान अपने ऐसे अहम बेजुबान साथी का घर जंगल उजाड़ने में तुले हैं।ऐसे में हाथी भी आखिर अब तक साथी रह पायेंगे,विवश होकर उन्हें भी भोजन – पानी की तलाश में इंसानी बस्तियों का रुख करना पड़ रहा है।
बीते कुछ सालों से यह समस्या धमतरी के आसपास के क्षेत्रों में देखने मिल रही है,, धमतरी के डुबान क्षेत्र मोगरागहन,अकलाडोंगरी एवं सतियारा, सहित विश्रामपुर, बेलतरा, खिरकीटोला, तुमराबहार, डाँगीमाचा,गंगरेल,मरादेव के अलावा धमतरी जिले के नगरी आदि इलाकों में हाथियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।जो इन बेजुबानों और क्षेत्रवासियों दोनों के लिए ही गंभीर चिंता का विषय है,इसके अलावा धमतरी के वन क्षेत्रों में अन्य जानवर भी मौजूद है जो समय समय पर भोजन और पानी की तलाश में आवासीय क्षेत्रों में आ जाते है,जिससे फसल को तो नुकसान होता ही है साथ ही इन जानवरों पर भी संकट मंडराता रहता है।धमतरी की इसी समस्या को लेकर युवा नेता आनंद पवार ने वन मंत्री मो.अकबर से मुलाकात की और आग्रह किया कि इन बेजुबानों की सुरक्षा के लिए हाथी कॉरिडोर की व्यवस्था की जाए,हाथियों द्वारा किए गए नुकसान का त्वरित मुआवजा और उनके आवागमन मार्ग पर वन विभाग की पेट्रोलिंग की पर्याप्त व्यवस्था की जाए।इसके अलावा अन्य वन पशुओं के लिए भी आवश्यक व्यवस्थाओं पर भी विशेष रूप से कार्य हो।
क्या है हाथी कॉरिडोर
हाथी कॉरिडोर या हाथी गलियारा भूमि का एक संकीर्ण भाग होता है जो दो बड़े आवास क्षेत्रें को आपस में जोड़ता है। हाथी गलियारों के विकास से हाथियों को जंगलों में ही न केवल रोकना संभव होता है बल्कि उनके आबादी वाले इलाक़ों में घुसने की घटनाओं में भी कमी आती है।