सार्थक स्कूल के विशेष बच्चों ने छत्तीसगढ़ के पारम्परिक तिहार “पोरा” पर नांदिया बैला दौड़ाए, चुकी पोरा से खेले

22

धमतरी | स्कूल के बच्चे रोहन, एकलव्य, बेबी, पतरस ,किसान की वेषभूषा पहनकर तैयार हुए, और मिट्टी के नांदिया बैलों की पूजा की और मिठाई का भोग लगाया। जो सभी बच्चों को प्रसादी के रूप में दिया गया। तत्पश्चात् बच्चों ने “बैला के घुंघरू बाजे रे , गीत पर डांस कर अपने अपने बैलों को खूब दौड़ाया और बहुत प्रसन्न हुए। लड़कियों ने भी मिट्टी के चुकी पोरा से खेलकर पोरा तिहार का आनंद लिया।

इस अवसर पर सार्थक अध्यक्ष डॉ. सरिता दोशी ने बताया कि, खेती किसानी में बैल और किसान का रिश्ता, विशेष प्रेम और गहरी संवेदनशीलता का होता है। बैलों को नंदी देव का स्वरूप मानते हुए, छत्तीसगढ़ के किसान उनके प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करते हुए इस दिन बैलों की पूजा करते हैं। सार्थक में अधिकतर बच्चे गांव से आते हैं। त्यौहारों को करीब से देखने के कारण वे पोरा मनाने में बेहद उत्साहित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सचिव स्नेहा राठौड़, प्रशिक्षक मैथिली गोड़े, देविका दीवान, स्वीटी सोनी का सहयोग रहा।