सभी लोकों में भक्तों के लिए भगवान शिव ब्रम्हांड का सर्वोच्च दर्शन हैं – रंजना साहू

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भगवान शंकर हैं आदियोगी,जो सभी भक्तों का रखते हैं ख्याल : पं. रुपेश शास्त्री

क्षेत्र में हो रहे धार्मिक अनुष्ठानों में पहुंच रहीं विधायक,धार्मिक कार्यक्रम को बढ़ावा देने लगातार रहती हैं आगे

धमतरी | धर्म धरा धमतरी के पावन अंचल में लगातार क्षेत्र में श्रीमद् भागवत कथा महापुराण यज्ञ हो रहा है जिससे पूरा धमतरी विधानसभा क्षेत्र धार्मिक अनुष्ठानों से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से भगवान शिव के आशीर्वाद से हमारा धमतरी पूर्ण रूप से धर्ममय आनंदमय हो गया है, ग्राम धौराभाठा में श्री साईं शिवालय जन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित श्यामेश्वर संगीतमय शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह में शिव महापुराण कथा का श्रवण करने क्षेत्र की विधायक रंजना डीपेंद्र साहू पहुंची, जहां पर कथावाचक पं.श्री रुपेश शास्त्री जी के श्रीमुख से 12 ज्योतिर्लिंग की कथा का श्रवण किए। तो वही ग्राम तेलिनसत्ती में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह में व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त कर विराजमान कथावाचक महाराज जी के श्रीमुख भगवान श्री कृष्ण के बाल लीलाओं के कथा श्रवण किए।

पंडित रूपेश शास्त्री जी ने अपने कथा प्रसंग में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से मानव जीवन धन्य बनाने, एवं परीक्षा, प्रतीक्षा, समीक्षा, शिक्षा और इच्छा से भगवान के प्राप्ति के मार्ग को अपने श्री मुख से वर्णन किए। कथा श्रवण करने के उपरांत विधायक रंजना साहू ने कहा कि भगवान शिव आदियोगी हैं, जो सभी भक्तों के कष्ट को हर लेते हैं, हमारे हिंदू शास्त्रों में भगवान शिव को एक ऐसे देवता के रूप में वर्णित किया गया है जो बहुत दयालु और भोले हैं और भक्तों की एक सच्ची पुकार पर प्रसन्न हो जाते हैं भगवान शिव के महिमा का गुणगान करने, पाठ करने से मानव जीवन सफल हो जाता है, आगे विधायक श्रीमती साहू ने क्षेत्र में लगातार हो रहे धर्म परिवर्तन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कई जगह देखा जा रहा है कि कुछ लोग झूठ बोलकर प्रलोभन देकर भोले भाले लोगों का धर्म परिवर्तन करवा रहे या उन पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव डाल रहे ऐसे विधर्मियों का समाज में कोई स्थान नहीं है, वहीं हमें भी यह समझे कि आवश्यकता है कि अपने धर्म का मान और सम्मान करना, हमारे आराध्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना करना हमारा नैतिक कर्तव्य है, धर्म परिवर्तन जैसे कुरीतियों को तोड़कर अपने धर्म को आगे बढ़ाते हुए शिरोधार्य मानकर हमारे वैदिक धर्म के अनुसार हमें चलना चाहिए।