
अयोध्या कांड – रामकथा का भव्य छठवां दिवस
धमतरी। नगर में चल रही सात दिवसीय रामकथा के छठवें दिवस का आयोजन श्रद्धा, भक्ति और भावनाओं के सागर में डूबा रहा। व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए प्रख्यात कथावाचक पं. अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि छत्तीसगढ़ रामचरितमानस की पावन भूमि है, जहां रामकथा केवल श्रवण का विषय नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। उन्होंने कहा कि मन को दर्पण बनाकर यदि जीवन को शास्त्र-सम्मत प्रमाणिकता के धरातल पर जिया जाए, तो व्यक्ति स्वतः ही धर्म, मर्यादा और सत्य के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है।
पं. अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि मन, वचन और कर्म को पवित्र करने का एकमात्र मार्ग रामचरितमानस का पठन, श्रवण और चिंतन है। रामायण केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि ऐसा जीवन-दर्शन है जो मानव को भीतर से मांजता है, उसके विकारों को दूर करता है और समाज में व्याप्त ऊँच-नीच, भेदभाव तथा अहंकार को समाप्त कर प्रत्येक जीव में परमात्मा का वास देखने की दृष्टि प्रदान करता है।
विवाह महोत्सव से अयोध्या आगमन तक का जीवंत वर्णन
कथा में विवाह महोत्सव के पश्चात भगवान श्रीराम एवं माता सीता के अयोध्या आगमन का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया गया। पं. अतुल कृष्ण महाराज ने बताया कि महाराजा जनक के नेतृत्व में अयोध्या का शासन प्रमाणिकता, नीति और मर्यादा के उच्च आदर्शों पर आधारित था। व्यक्ति को भी अपने जीवन को निर्मल दर्पण के समान रखना चाहिए, जिसके लिए शुद्ध और पवित्र मन आवश्यक है। शास्त्र ही वह मार्ग है, जो मन को मांजकर जीवन को उजास से भर देता है।
कथा में यह भी उल्लेख किया गया कि इन्हीं आदर्शों का अनुसरण करते हुए महाराजा दशरथ ने सभी प्रमुख जनों, मंत्रियों और राजपुरुषों से परामर्श कर भगवान श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लिया। यह प्रसंग सुनकर श्रद्धालुओं में उल्लास और भक्ति का भाव उमड़ पड़ा।
वनगमन प्रसंग पर भाव-विभोर हुआ जनसमूह
जैसे ही कथा ने भगवान श्रीराम के वनगमन की ओर प्रवेश किया, पूरा पंडाल भावनाओं से भर उठा। पं. अतुल कृष्ण महाराज ने वनगमन का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि रावण के वध हेतु भगवान श्रीराम का वनवास आवश्यक था। रावण इतना प्रतापी था कि कोई भी राजा उसके वध के लिए सक्षम नहीं था, इसलिए देवताओं की योजना के अनुसार माता सरस्वती ने कैकई की बुद्धि को प्रभावित किया। राजा दशरथ द्वारा दिए गए वरदानों के स्मरण के साथ श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास और भरत को राज्याभिषेक का वरदान मांगा गया।
इस करुण प्रसंग का वर्णन सुनते ही श्रोतागण भाव-विभोर हो उठे। माता-पिता का त्याग, पुत्र का मर्यादा पालन और प्रजा के प्रति कर्तव्य—इन सभी भावों ने श्रद्धालुओं की आंखें नम कर दीं। अनेक श्रोताओं की आंखों से अश्रुधारा बह निकली और पूरा वातावरण “जय श्रीराम” के उद्गोष से गूंज उठा।
राम जीवन के प्रत्येक आदर्श के प्रतीक – पं. राजेश शर्मा
कथा मंच से आयोजक पं. राजेश शर्मा ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीराम जीवन के प्रत्येक आदर्श के प्रतीक हैं। वे मर्यादा, त्याग, सेवा और करुणा का सजीव स्वरूप हैं। यदि व्यक्ति अपने जीवन में श्रीराम के चरित्र को उतार ले, तो न केवल उसका स्वयं का जीवन धन्य हो जाएगा, बल्कि समाज में भी सुख, शांति और समरसता का वातावरण निर्मित होगा। उन्होंने कहा कि यहीं से सच्चे अर्थों में रामराज्य की स्थापना होगी।
उन्होंने वर्तमान समय की समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि आज समाज जिन चुनौतियों से जूझ रहा है, उनका समाधान रामचरितमानस में समाहित है। आवश्यकता है केवल उसे समझने और जीवन में अपनाने की।
बड़ी संख्या में गणमान्य व श्रद्धालु रहे उपस्थित
रामकथा के छठवें दिवस महापौर रामू रोहरा, रंजना साहू, कविंद्र जैन, जानकी वल्लभ जी महाराज, श्याम अग्रवाल, इंदर चोपड़ा, डॉ. प्रभात गुप्ता, डॉ. एन.पी. गुप्ता, डॉ. जे.एल. देवांगन सहित नगर के अनेक गणमान्य नागरिक, समाजसेवी, व्यापारी, महिला-पुरुष श्रद्धालु एवं रामभक्त बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
रामकथा का यह छठवां दिवस श्रद्धा, भक्ति और भावनात्मक चेतना से परिपूर्ण रहा, जिसने श्रोताओं के मन में रामभक्ति की गहरी छाप छोड़ते हुए उन्हें जीवन के सच्चे आदर्शों की ओर प्रेरित किया।

आज के कथा श्रवण के लिए प्रमुख रूप से गोपाल शर्मा,जीतेन्द्र शर्मा ,राजेश शर्मा,महापौर रामू रोहरा, श्रीमती ज्योति हरक पारख अध्यक्ष नगर पंचायत भखारा,प्रताप राव कृदत ,जानकी वल्लभ जी महराज, श्याम अग्रवाल,इंदर चोपड़ा,भरत मटियारा, रंजना साहू,दिलिप राज सोनी,राजेंद्र शर्मा , योगेश गांधी,डॉ प्रभात गुप्ता, डॉ एन.पी.गुप्ता, डॉ जे.एल.देवंगान,अर्जुन पुरी गोस्वामी,दयाराम साहू ,विजय सोनी, अशोक पवार,बिथिका विश्वास,शशि पवार, कविंद्र जैन,गोलू शर्मा ,प्रकाश शर्मा ,विकास शर्मा,नरेश जसूजा, नरेंद्र जयसवाल, कुलेश सोनी, पिन्टू यादव, राजेंद्र गोलछा, महेंद्र खंडेलवाल, दीप शर्मा, देवेंद्र मिश्रा, डेनिस चंद्राकर,ज्ञानिक राम टेके,हरख जैन ,विजय शर्मा, बिट्टू शर्मा, खूबलाल ध्रुव, संजय तंम्बोली,प्रदीप शर्मा,मालकराम साहू ,मनीष मिश्रा, सूरज शर्मा, लक्की डागा ,योगेश रायचुरा, मधवराव पवार, राजेंद्र स्रोती ,अरुण चौधरी, रंजीत छाबड़ा ,भरत सोनी ,अखिलेश सोनकर, संजय देवांगन, धनीराम सोनकर, गजेंद्र कंवर, ईश्वर सोनकर,पप्पू सोनी शत्रुधन पांडे, हेमंत बंजारे,नीलमणि पवरिया , ज्योति जैन,हेमलता शर्मा, खिलेश्वरी किरण,चित्रलेखा निर्मल कर, श्यामा साहू,नीतू शर्मा,चंद्रकला पटेल, रूखमणी सोनकर,सरिता यादव ,दमयंती, गजेंद्र गायत्री सोनी, गीता शर्मा, ममता सिन्हा, ईश्वरी पटवा, मोनिका देवांगन,बरखा शर्मा,ललिता नाडेम,अंजू पवन लिखी, हर्षा महेश्वरी ,सुमन ठाकुर,डाँली सोनी, भारती साहू ,हिमानी साहू ,आशा लोधी, प्रभा मिश्रा ,भारती खंडेलवाल,अनिता सोनकर आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।






