यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध,आदिवासी समाज ने सौंपा ज्ञापन

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धमतरी |  केन्द्र सरकार द्वारा लाए जा रहे समान नागरिकता कानून का अब विरोध शुरू हो गया है। धमतरी में युनिफार्म सिविल कोड को लेकर धमतरी में सर्व आदिवासी समाज ने आपत्ति जताते हुए इसे रदद करने की मांग की है। आदिवासी समाज ने इस मामले में राष्ट्रपति,विधि आयोग,प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है। वही इस बिल के विरोध में समर्थन देने मुस्लिम,सतनामी,बौद्ध,महार समाज के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष जीवराखन लाल मरई का कहना है कि समान नागरिक संहिता लागू होने से जनजाति समाज पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इससे भारत देश में सभी जनजातियों के प्रथागत कानून समाप्त हो जायेगा। आदिवासियों की रीतिरिवाजो को कमजोर कर देगी,जिन्हें कानून का बल दिया गया है। ऐसे में कॉमन सिविल कोड बिल भारत देश में न लागू किया जाए।

कार्यकारी जिलाध्यक्ष महेश रावटे ने बताया कि भारत विविधता का देश है भारतीय नागरिक विभिन्न धर्मो समुदायों जातियों और जनजातियों से आते है और यहां विभिन्न समुदायों जैसे ईसाई,मुस्लिम, हिंदु, जैन बौद्ध, सिख, जनजातियों का अपना व्यक्तिगत कानून है। आदिवासी समुदाय में विवाह, तलाक, विभाजन, उत्तराधिकारी, विरासत, गोद लेने के मामले में प्रथागत अपने नियम है यदि यह कानून लागू किया जाता है तो आदिवासी समाज की पहचान खत्म हो जाएगा।

इस अवसर पर बौद्ध समाज से दिनेश रामटेके,मुस्लिम समाज से रसूल खान,अशफाक हाशमी, महार समाज से अशोक मेश्राम,सतनामी समाज से आर पी संभाकर सर्व आदिवासी समाज से शिवचरण डॉक्टर ए आर ठाकुर,रामेश्वर मरकाम,हेमंत छैदेहा,बंटी मरकाम,हरिशंकर मरकाम आदि उपस्थित रहे।