मन की बुराईयों को दूर कर सत्य ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना ही प्रकाश पर्व या गुरू पूरब: आनंद पवार

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धमतरी । सिखों के पहले गुरु नानक देव जी की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व या गुरु पूरब पके रूप में मनाई जाती है। यह पर्व समाज के हर व्यक्ति को साथ में रहने, खाने और मेहनत से कमाई करने का संदेश देता है। प्रकाश पर्व यानी मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य, ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना।
गुरु नानक देव ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी. वे रूढ़िवादिता, धार्मिक आडंबर और अंधविश्वास के बिलकुल खिलाफ थे. बचपन से ही उनका स्वभाव बेहद गंभीर था और वे इन सब चीजों को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे।
गुरु नानक देव एक सच्चे योगी, गृहस्थ, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक थे ।

गुरु नानक देव जी ने हमेशा जात-पात का विरोध किया है. उन्होंने अपने समय में लंगर की शुरुआत की. जिसका मकसद था छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब सब एक साथ बैठकर भोजन प्राप्त कर सकें. किसी के मन में किसी भी व्यक्ति के लिए भेदभाव ना हो।
गुरु नानक देव जी ने पानीपत, कुरुक्षेत्र, नर्मदा तट, मुल्तान, प्रयाग, हरिद्वार, काशी, असम, दिल्ली, रामेश्वर, द्वारका, लाहौर, सोमनाथ, जगन्नाथ पुरी, बीकानेर, गया, पटना, अयोध्या और असम आदि जगहों की यात्रा समाज को जागरूक करने के लिए की।