बोरे बासी’ दिवस से मिला श्रमिक को सम्मान: मजदूर दिवस पर महापौर ने की बासी खाने की अपील

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छत्तीसगढ़ के बासी मा हे गजब के विटामिन – विजय देवांगन

धमतरी l स्थानीय तीज-त्योहार सरकारी तौर पर मनाने की शुरुआत करने के बाद राज्य सरकार ने आहार को भी छत्तीसगढ़िया गौरव से पिछले वर्ष जोड़ दिया है। किसानों-मजदूरों का आहार कहे जाने वाले बोरे बासी से हो रही है।
महापौर विजय देवांगन ने कहा की छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मजदूर दिवस,एक मई को श्रम को सम्मान देने के लिए बोरे बासी खाकर बोरे बासी दिवस के रूप में मनाया जा रहा ।

महापौर ने आगे कहा की गजब विटामिन भरे हुए हे छत्तीसगढ़ के बासी मा,युवा पीढ़ी को हमारे आहार और संस्कृति के गौरव का एहसास कराना बहुत जरूरी है। एक मई को हम सब बोरे बासी के साथ आमा के थान और गोंदली के साथ हर घर में बोरे बासी खाएं और अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व महसूस करें।
सभापति अनुराग मसीह ने कहा की सबको पता है कि हर छत्तीसगढ़िया के आहार में बोरे बासी का कितना महत्व है। हमारे श्रमिक भाइयों, किसान भाइयों और हर काम में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली हमारी बहनों के पसीने की हर बूंद में बासी की महक है। जब हम कहते हैं कि “बटकी में बासी अउ चुटकी में नून’ तो यह सिंगार हमें हमारी संस्कृति से जोड़ता है।
एमआईसी सदस्य एवं पार्षदों ने गिनाई बोरे बासी की विशेषता
नगर निगम के एमआईसी सदस्यो एवं पार्षदों ने विशेषता गिनाते हुए कहा की गर्मी के दिनों में बोरे बासी शरीर को ठंडा रखता है। पाचन शक्ति बढ़ाता है। त्वचा की कोमलता और वजन संतुलित करने में भी यह रामबाण है। बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। बोरे बासी छतीसगढ़ का प्रमुख और प्रचलित व्यंजन है। बोरे बासी का मतलब होता है रात के पके चावल को रात को भिगो कर या सुबह भिगो कर खाना या सुबह के पके चावल को दोपहर में खाना। इसमें स्वादनुसार नमक मिलाया जाता है। फिर सब्जी, प्याज,आचार,पापड़,बिजौरी इत्यादि के साथ खाया जाता है। कई बार लोग केवल नमक और प्याज से बासी खाते हैं।