
धमतरी | कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कुरूद (इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर) के चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव” (Rural Agricultural Work Experience (RAWE )कार्यक्रम के अंतर्गत बीते रविवार को ग्राम बानगर में किसानों और महिला स्व–सहायता समूहों को अजोला बेड निर्माण, गेंदा फसल में पिंचिंग तकनीक तथा मोरिंगा पत्तियों की तुड़ाई एवं मूल्य–वर्धित उत्पाद निर्माण का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थियों ने आजोला बेड तैयार करने की संपूर्ण प्रक्रिया का प्रदर्शन करते हुए बताया कि अजोला उच्च प्रोटीन युक्त पशुचारा, मछली पालन के लिए पोषक तत्व तथा जैव–उर्वरक के रूप में उपयोगी है। इसके बाद गेंदा फसल पर पिंचिंग तकनीक का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करते हुए किसानों को समझाया गया कि 25–30 दिन की अवस्था में शीर्ष कलिका को हटाने से शाखाओं की संख्या बढ़ती है, पौधे संतुलित रहते हैं तथा अधिक एवं एकरूप फूल प्राप्त होते हैं, जिससे उत्पादन में 20–25 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है। इसी क्रम में महिला समूहों को मोरिंगा पत्तियों की वैज्ञानिक तुड़ाई, छाया में सुखाने, भंडारण तथा पैकिंग की विधियाँ सिखाई गईं, ताकि वे पत्तियों से पाउडर, ग्रीन टी, कैप्सूल तथा मिश्रित दलिया/सेवई जैसे मूल्य–वर्धित उत्पाद तैयार कर घरेलू आय बढ़ा सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम डॉ. नवनीत राणा (डीन) के दिशानिर्देशन, डॉ. भूमिका हत्गिया (RAWE समन्वयक) के मार्गदर्शन तथा डॉ. गुलाब बर्मन एवं श्री सोनू दिवाकर (विषय विशेषज्ञ) के सहयोग से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।






