
धमतरी । जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी व्यवस्था इस वर्ष और अधिक पारदर्शी, सुव्यवस्थित तथा किसान हितैषी सिद्ध हो रही है। जिला प्रशासन द्वारा तकनीकी नवाचारों और सुगम सेवाओं के विस्तार के साथ किसानों को दी जा रही सुविधाओं के बेहतर परिणाम अब स्पष्ट रूप से दिखने लगे हैं। इसी कड़ी में कुरूद विकासखंड के ग्राम गातापार के प्रगतिशील किसान श्री टीकाराम साहू की सफलता की कहानी पूरे जिले के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है।
श्री साहू ने सेवा सहकारी समिति कोड़ेबोड में पहुंचकर 144 क्विंटल धान की बिक्री की। उन्होंने बताया कि इस वर्ष खरीदी व्यवस्था में जो सबसे बड़ा बदलाव वे महसूस कर रहे हैं, वह है ‘टोकन तुम्हार द्वार’ मोबाइल ऐप के माध्यम से ऑनलाइन टोकन प्राप्त करने की सुविधा। इस डिजिटल नवाचार ने किसानों को भारी भीड़, लंबी कतारों और अनावश्यक समय व्यय से पूरी तरह मुक्त कर दिया है। श्री टीकाराम ने आसानी से ऑनलाइन टोकन बुक किया और निर्धारित समय पर खरीदी केंद्र पहुंचकर सुचारू रूप से अपना धान विक्रय किया।
श्री टीकाराम ने इस वर्ष 4 हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की है। समय पर सिंचाई, उन्नत कृषि पद्धतियों तथा आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग से उन्हें बेहतर उत्पादन प्राप्त हुआ। वे बताते हैं कि गत वर्ष खरीदे गए जॉन डियर ट्रैक्टर ने खेती-किसानी के कार्यों में उनकी मेहनत कम की और उत्पादन क्षमता में वृद्धि की। खेत की जुताई, समतलीकरण और कटाई–परिवहन जैसे कार्य अब पहले की तुलना में अधिक तेजी और कम लागत में हो रहे हैं।धान विक्रय से प्राप्त राशि का उपयोग वे कृषि ऋण के भुगतान, अगली फसल के लिए खाद–बीज की खरीदी तथा खेती के अन्य आवश्यक कार्यों में करेंगे। इसके अतिरिक्त, श्री साहू अपने दो बेटों का विवाह इसी वर्ष करने की तैयारी में हैं। इस शुभ अवसर पर वे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को भी निमंत्रण देने की बात भावनात्मक उत्साह के साथ बताते हैं।श्री टीकाराम साहू का अनुभव इस बात का प्रमाण है कि जिला प्रशासन द्वारा लागू की गई सुविधाएँ—चाहे वह ऑनलाइन टोकन व्यवस्था हो, खरीदी केंद्रों में सुचारू व्यवस्थाएँ हों या किसानों के लिए कृषि साधन उपलब्ध कराने के प्रयास—किसानों की दैनिक समस्याओं को दूर करते हुए उन्हें आर्थिक रूप से अधिक सक्षम बना रही हैं।धमतरी जिले में आधुनिक तकनीक, पारदर्शी व्यवस्था और प्रशासनिक प्रतिबद्धता के संगम से उभर रहे नये ग्रामीण विकास का जीवंत उदाहरण है—जहाँ किसान आत्मनिर्भरता की ओर दृढ़ता से कदम बढ़ा रहे हैं।






