
अंजुमन इस्लामियां कमेटी द्वारा किया गया इज्तेमाई शादी का आयोजन
धमतरी। अंजुमन इस्लामियां कमेटी के द्वारा रविवार को जैनब पैलेस में इज्तेमाई शादी का आयोजन किया गया, जिसमें 35 जोड़े निकाह कबूल एक-दूजे के हमसफर बने। शादी में समाज के 10 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। इस्तेमाई शादी की खास बात रही कि ना ढोल बाजे बजे, ना वीडियो शूटिंग हुई, ना बारात निकली, ना कोई घोड़ी चढ़ा, अनावश्यक खर्च वाला कोई भी काम न कर शादी का पूरा प्रोग्राम सादगी के साथ किया गया।
इस्तेमाई निकाह का आयोजन फिजूलखर्ची रोकने के उद्देश्य से किया गया था, इसलिए बड़े प्रोग्राम में भी फिजूलखर्ची पर पूरी पाबंदी लगाकर अंजुमन इस्लामियां कमेटी ने एक मिसाल पेश की। पिछले साल 20 जोड़ों का निकाह हुआ था। दोनों साल परिचय सम्मेलन का भी आयोजन किया गया ताकि समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ मिल सके। हाजी दिलावर रोकड़िया, शकील अहमद, आजम निर्बान, वसीम कुरैशी, हाजी अख्तर गोड़, नौशाद खान, हनीफ अहमद ने कहा कि इस्लाम में सादगी से शादी सुन्नत है, निकाह को आसान बनाने कहा गया है। इस्तेमाई शादी में फिजूलखर्ची बिल्कुल भी नहीं की गई, अंजुमन अध्यक्ष की यह पहल सराहनीय है।अंजुमन अध्यक्ष हाजी नसीम अहमद ने कहा कि शादी हो या अन्य कार्यक्रम लोगों को अनावश्यक खर्चे से बचना जरूरी है।
समाज को अपना पूरा फोकस शिक्षा पर करना चाहिए। शादी में दिखावटी खर्च कई बार प्रतिस्पर्धा का रूप ले लेता है, माता पिता को कर्ज लेकर तक शादी कार्यक्रम निपटाना पड़ता है। इस स्थिति से बचने का सबसे अच्छा विकल्प सामूहिक विवाह है। एक साथ शादी होने से समय की बचत, खर्च की बचत होती है। प्रोग्राम को सफल बनाने में नायाब सदर हाजी हसरत अली, सेक्रेटरी अब्दुल हकीम, हनफिया मस्जिद के सदर हाजी सलाम खत्री, गरीब नवाज मस्जिद के सदर सैयद नवाब अली, मदीना मस्जिद के सदर सैय्यद आसिफ अली, मो शब्बीर, जमील अहमद, हाजी अब्दुल हमीद, इमरान मेमन, असलम अशरफी, इकबाल खोकर, मुख्तार अशरफी, हाजी बशीर अहमद, मोहम्मद निसार, राजू मोबिन, असलम खान आदि का योगदान रहा।