साहू समाज ने पारंपरिक उल्लास से मनाया हरेली तिहार

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धमतरी । छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपरा और कृषक जीवन की आस्था को समर्पित हरेली तिहार को साहू समाज ने इस वर्ष भी पूरी श्रद्धा, उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ धूमधाम से मनाया।

कार्यक्रम का आयोजन जिला साहू संघ धमतरी, शहर तहसील साहू समाज, परिक्षेत्र एवं वार्ड गोकुलपुर साहू समाज के संयुक्त तत्वावधान में भक्त माता कर्मा चौक, गोकुलपुर में किया गया। इस अवसर पर पारंपरिक विधि-विधान के साथ कृषि उपकरणों, औजारों, पशुधन और धरती माता की पूजा की गई।

कार्यक्रम की विशेष आकर्षण रही गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता, जिसमें युवाओं ने पारंपरिक गेड़ियों पर चढ़कर अपनी कुशलता का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के समापन पर छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन गुलगुल भजिया, अरसा, ठेठरी-खुरमी, शक्करपारा का प्रसाद वितरण किया गया।

जिलाध्यक्ष अवनेन्द्र साहू ने कहा कि “हरेली पर्व हमारे छत्तीसगढ़ की संस्कृति का प्रथम पारंपरिक त्यौहार है, जो किसानों की मेहनत और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। इस दिन किसान अपने खेती-किसानी के औजारों, पशुओं और धरती माता की पूजा कर अच्छी फसल और समृद्धि की कामना करते हैं। साहू समाज की ओर से भी क्षेत्रवासियों के लिए सुख-शांति और उन्नति की प्रार्थना की गई है।”

इस अवसर पर कई सामाजिक पदाधिकारीगण उपस्थित रहे जिनमें प्रमुख रूप से –
तोरणलाल साहू, केकती साहू, यशवंत कुमार साहू, रोहित कुमार साहू, विजयगौतम साहू, चंद्रभागा साहू, डॉ. रामकुमार साहू, लीलाराम साहू, महेश साहू, विजय साहू, गोपीकिशन साहू, डॉ. ललित साहू, वीरेंद्र साहू, उपेंद्र साहू, डॉ. भूपेंद्र साहू, नारायण साहू, राजेंद्र साहू, मदन साहू, ललित चौधरी, रूपेंद्र गंजीर, जय साहू, असमत साहू, रमशिला साहू, चंद्रिका साहू, जानकी साहू, मंजूषा साहू, गणेशप्रसाद साहू, गजानंद साहू, भूमिकादेवी साहू, रोशन साहू, देवेंद्र साहू, उमाशंकर साहू, कृष्णाराम साहू, नंदकिशोर साहू, भीखम साहू, अमित साहू, भोलाराम साहू, कमलेशकांत साहू, गौतम साहू, रेखराम साहू, अशोक साहू, जीवन साहू, नामदेव साहू, अरुण गौर, भीष्म साहू, जनक साहू, कैलाश साहू, धरम साहू, डोमार साहू, रामेश्वर गंगबेर, पिंटू कलिहारी, डामिन साहू, तामेश्वर, गोपाल साहू, चंदूलाल साहू सहित बड़ी संख्या में साहू समाजजन उपस्थित रहे।

साहू समाज द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल सांस्कृतिक एकता का परिचायक बना बल्कि युवाओं में अपनी जड़ों से जुड़ाव और पारंपरिक मूल्यों के प्रति जागरूकता का भी संदेश लेकर आया।