
धानतरी | RAWE कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कुरूद के चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा ग्राम बानगर में 10 डिसिमल क्षेत्र में चना फसल का प्रयोगात्मक प्लॉट आधारित प्रदर्शन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस वैज्ञानिक फील्ड-एक्सपेरिमेंट का मुख्य उद्देश्य किसानों को चना फसल में विभिन्न जैविक एवं रासायनिक बीज उपचार तकनीकों के अंतर एवं प्रभावों से अवगत कराना था। प्रयोग के लिए कुल 10 डिसिमल क्षेत्र को 8 प्लॉट्स में विभाजित कर प्रत्येक प्लॉट में अलग-अलग प्रकार से बीज उपचार कर चना फसल की बुवाई की गई। इन प्लॉट्स में ट्राइकोडर्मा, PSB, बेसिलस आधारित जैव-उपचार, राइजोबियम, थियोफेनेट मिथाइल, स्युडोमोनास फ्रुलोसेनट, पारंपरिक “बीजामृत” तथा नियंत्रण (बिना उपचार) शामिल थे। इन विविध तकनीकों से उपचारित बीजों के अंकुरण प्रतिशत, पौधों की बढ़वार, रोग-नियंत्रण क्षमता एवं समग्र फसल प्रदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। इस प्रयोग से किसानों को बीज उपचार की वैज्ञानिक आवश्यकता, रोग-नियंत्रण में जैविक एवं रासायनिक उपचारों की उपयोगिता, तथा नियंत्रण एवं उपचारित प्लॉट्स के बीच स्पष्ट अंतर को प्रत्यक्ष रूप से समझने का अवसर मिला। विद्यार्थियों को भी फील्ड-प्रयोग की डिजाइन, स्थापना और प्रबंधन संबंधी महत्वपूर्ण व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ। यह कार्यक्रम कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कुरूद के अधिष्ठाता डॉ. नवनीत राणा के मार्गदर्शन, डॉ. भूमिका हत्गिया (कार्यक्रम समन्वयक) के निर्देशन तथा श्री विनोद मरकाम एवं डॉ. हरीश कुंवर के सहयोग से सम्पन्न हुआ। RAWE कार्यक्रम के इस प्रयोगात्मक प्रदर्शन ने किसानों में वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।





