पलाश के फूलों से महिलाये खेलेंगे होली

10

पलाश के फूल औषधीय गुण से भरपूर है
राजनांदगांव । माँ बम्लेश्वरी स्वंय सहायता समुह से जुड़ी हरियाली बहिनी पलाश के फूलों से खेलेंगी होली अभियान प्रमुख शिव कुमार देवांगन ने बताया कि गाँव गाँव में बैठक लेकर पलाश के फूलों को एकत्रित करने प्रेरित की जा रही है । विगत दिनों छुरिया विकासखंड के ग्राम चिखलाकसा में फूलों को एकत्रित करने की शुरूआत की गई है। लगभग 100 गांवों में चलने वाली अभियान में 5000 के आसपास महिलाये फूलों का रंग गुलाल से होली खेलेंगे साथ ही बिक्री करने बाजार में उतरेंगे। फुलों के रंग गुलाल बनाने रविवार दिनांक 02 मार्च को प्रशिक्षण की तिथी तय की गई है |

ताकि 14 मार्च को होने वाली होली में अधिक से अधिक व्यवसाय करने का समय मिल सकें। ग्रामीण क्षेत्र में बहुतायत मात्रा में मिलने वाले पलाश (टेशु) में इन दिनों फूल लगी हुई है, फूल देखने में सुंदर लगते है उससे अधिक ये फूल फायदेमेंद साबित हो सकते है। पलाश पौधे के फूल, छाल,  पत्ती और बीज किसी औषधी से कम नही है यह फूल हमारे सेहत के लिये फायदेमंद माने जाते है। आयुर्वेद में इन फूलों को एक औषधीय फूल के रूप में जाना जाता है, पलाश में रोगाणुरोधी और एंटीऑॅक्सीडेंट गुण पाये जाते है, जो लिवर, डायरिया या अन्य बीमारी में ईलाज के लिये प्रयोग किया जाता है। पलाश का पौधा, बुखार, चर्मरोग, सिरोसिस, डायबिटिज, मूत्रवरोध, गर्भाधान रोकने, और नेत्र ज्योति बढ़ाने सहित कई बीमारी में लाभदायक है। इसके अलावा पेट में कीड़ा, घाव भरने एवं त्वचा रोग के साथ ही महिलाओं को होने वाली कई गंभीर बीमारी से बचाव में यह बेहत कारगर होते है।