महिला सरपंच का कार्य उसका पति या देवर नहीं कर सकता

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महिला सरपंच का कार्य उसका पति या देवर नहीं कर सकता ,  बिना विवाह के इस तरह से विदेशी संस्कृति (लिव-इन) रिलेशनशिप को बढ़ावा न दे, मानसिक बीमार का प्रकरण पुलिस अधीक्षक धमतरी को सौंपा गया ,अनावेदक ने आयोग के समझाईश में अपने  पत्नी को दिए 8 हजार रूपये 
धमतरी | छ.ग. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष धमतरी में महिला आयोग को मिले प्रकरणों की सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 277 वी. सुनवाई हुई। धमतरी जिला में आज 06 वीं सुनवाई हुई, जिसमें कुल 26 प्रकरणों पर सुनवाई की गई। की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में इसी आवेदिका का एक और फाईल 379 है जिसमें अनावेदकगण अलग है किन्तु दोनो ही प्रकरणों में मूल मुद्दा यह है कि आवेदिका और अनावेदकगणों के बीच जमीन के विवादों को लेकर दिवाली मामला न्यायालय में लंबित है। अतः उस विषय को छोड़ते हुए गांव का सामाजिक प्रतिबंध वाले क्षेत्रों में अनावेदकगणों का यह कथन है कि आवेदिका पक्ष गांव का अन्य समाज का 10 हजार रूपये और साहू समाज का 12 हजार रूपये रोक कर रखा है। आवेदिका पक्ष का मोबाईल साहू समाज के पास लगभग 14 हजार रूपये का है जो 03 साल से रखा गया है। अनावेदक पक्ष मोबाईल लेकर एवं आवेदिका पक्ष 22 हजार रूपये लेकर रायपुर आएंगे। आयोग की ओर से अधिवक्ता एवं काउंसलर दोनों पक्षों के सहमति को स्टाम्प में लिखा पढ़ी कराएगें, जिसमे अनावेदकगणों को यह घोषणा करनी होगी कि आवेदिका का सामाजिक बहिष्कार रद कर दिया गया है, जिसके लिए 18 सितम्बर .2024 को रायपुर में सुनवाई रखी गई है। अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों के मध्य तहसील न्यायालय, एसडीएम कोर्ट में वसीयतनामा को लेकर प्रकरण का निराकरण हो गया है और वर्तमान में प्रकरण दिवानी न्यायालय मे ंलंबित है। ऐसी दशा में इस प्रकरण को न्यायालय मेें होने के कारण सुना जाना न्यायोचित नहीं है। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है। अन्य प्रकरण में आवेदिका गांव की सरपंच है और सभी अनावेदकगण पंच है। उभय पक्षों के बीच प्रकरण की जांच कलेक्टर ऑफिस से किया गया है तथा आवेदिका ने माननीय उच्च न्यायालय में प्रकरण दर्ज की है और हाईकोर्ट स्टे के बाद सरपंच पद भी बनी हुई है और उनका काम उनके देवर द्वारा किया जा रहा है। अनावेदकगणों को इस पर आपत्ति है कि गांव का सारा हिसाब-किताब उनका देवर करता है। उभय पक्षों को विस्तार से सुना गया कि वह महिला आरक्षण पर चुनाव लड़ना है, तो उन्हे ही सारा काम करना है और ठेका, कार्य खरीदी से अलग रखा जाना है। दोनों पक्षों में सुलह हो चुकी है इस कारण इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है।
अन्य प्रकरण में अनावेदक आरक्षक है और नगरी थाना में डीआरजी में पदस्थ है। उसने आवेदिका का लगभग 10 से 12 वर्षों तक शारीरिक शोषण किया गया, जिसके बाद आवेदिका ने थाना रूद्री में अनावेदक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है जिसका चालान न्यायालय मे प्रस्तुत हो गया है तथा जिला सत्र न्यायालय में अनावेदक के विरूद्ध प्रकरण है। आवेदिका को भी समझाईश दिया गया कि अनावेदक के खिलाफ न्यायालय में अपने प्रकरण की बारीकी से जानकारी प्राप्त करे, ताकि अनावेदक को सजा मिल सके। आवेदिका को यह भी समझाईश दिया गया कि भारत जैसे देश में बिना विवाह किए इस तरह पाश्चात्य लिव-ईन को बढ़ावा न दे। इस पर आवेदिका का कथन है कि उसने मंगलसूत्र पहनाया था और शादी-शुदा हैसियत से रहते थे। इस आवेदिका को समझाईश दिया गया कि इस तरह से लड़के को बेनकाब करे और कड़ी से कड़ी कार्यवाही कर सजा दिलाई जाए क्योकि प्रकरण  न्यायालय में जिससे प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है। अन्य प्रकरण में दोनो उभय को सुना गया। उभय पक्षों को बहुत ही दस्तावेज है जिससे आवेदिका एवं अनावेदक दस्तोवज एक दूसरे डाक के माध्यम से भेजे एवं इसकी सूचना आयोग के लिपिक को भी भेजे। अगली सुनवाई प्रकरण रायपुर में दिसम्बर माह में रखा गया है। अन्य प्रकरण में आवेदिका के मकान जो शासकीय भूमि पर बना था, उस अनावेदकगणों के द्वारा आपत्ति दर्ज किया गया था, जिस पर तहसीलदार एवं एसडीएम के निर्णय होने के बाद शासन के अनुमति पर तोड़ा गया था तथा भवन निर्माण के पूर्व जो पैसा आवेदिका से मांगा गया था वह मुद्दा अब समाप्त हो गया। आवेदिका का कथन है कि गांव में पांच लोगो का मकान अवैध रूप से बना है, जिससे पैसा लेकर सांठ-गांठ कर छोड़ दिया गया है। शेष अन्य पांच लोगो का मकान अवैध अतिक्रमण है जिस पर तहसीलदार एवं एसडीएम ने कोई कार्यवाही नहीं की है। आवेदिका की प्रति निःशुल्क प्रदान की जा रही है जिससे वह कलेक्टर को लिखित शिकायत प्रस्तुत करे। यह प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया है।  न्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक उसका पति और 11 साल पहले उसका विवाह हुआ है और वह मानसिक रूप से बीमार होने के कारण बहुत अत्याचार करता है। दोनो बच्चियों का भी जीना मुश्किल हो गया है और आवेदिका भयभीत रहती है कि कब उसके उपर किस तरह से अत्याचार कर बैठे। अनावेदक से उसका पक्ष पूछे जाने पर कुछ भी बोलने समझने की स्थिति में दिखाई नहीं दे रहा है। इससे आवेदिका की शिकायत की पुष्टि होती है। इस प्रकरण मे अनावेदक की जांच एवं ईलाज शासकीय मनोरोग चिकित्सालय सेंदरी में कराया जाना अति आवश्यक है। इस बाबत् पुलिस अधीक्षक धमतरी से दूरभाष के माध्यम से चर्चा किया गया है, ताकि वह नियमानुसार कार्यवाही कर उचित निर्णय ले और समस्या का निराकरण करें तथा दो माह के अंदर अपनी रिपोर्ट आयोग को प्रेषित करें। इस निर्देश के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है।