पांच दिवसीय आयोजन के अंतर्गत जय-तिहुवन स्तोत्र के साथ 23वें तीर्थंकर परमात्मा का पूजा के माध्यम से अभिषेक

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 धमतरी | परम पूज्य विशुद्ध सागर जी म.सा. ने फरमाया कि पांच दिवसीय आयोजन के अंतर्गत जय-तिहुवन स्तोत्र के साथ 23वें तीर्थंकर परमात्मा का पूजा के माध्यम से अभिषेक होगा। सभी तपस्वियों को अभिषेक का लाभ पहले मिलेगा। उसके बाद अन्य श्रावक श्राविकाओं को अभिषेक का लाभ मिलेगा।

आचार्य  अभय देव सूरी जी द्वारा रचित यह स्तोत्र है। इसका शुद्ध अंतःकरण से स्मरण करने पर आधि और व्याधि दूर होता है। साथ ही समाधी के साथ मोक्षगामी होने की उपाधि प्राप्त होती है। 30 गाथा वाले इस स्तोत्र के 17वें गाथा फनीफन फार फुरंतर की रचना के साथ धरती के अंदर से स्वतः ही स्तंभन पार्श्वनाथ परमात्मा की प्रतिमा प्रकट हो गई थी। वह चमत्कारिक प्रतिमा आज भी गुजरात राज्य के खंभात शहर में जैन मंदिर में है। जो जैनों के प्रमुख तीर्थों मै शामिल है। और आस्था का केंद्र है। 23वें तीर्थंकर परमात्मा पार्श्वनाथ भगवान का निर्वाण कल्याणक म्होत्सव है। 24 तीर्थंकर परमात्मा में पार्श्वनाथ भगवान को सबसे अधिक पुण्यशाली माना जाता है। इसीलिए आप पुरुषादानी भी कहलाते है। यही कारण है की जैन दर्शन के अनुसार सबसे अधिक जिन मंदिर आपका है। पार्श्वनाथ परमात्मा के 108 है। और 108 नाम से आपका तीर्थ भी है। आज हमे पूरे भाव से परमात्मा का अभिषेक करना है क्योंकि हमारे भाव ही हमे भक्त से भगवान बना सकते है। रात्रि में प्रभु भक्ति का कार्यक्रम श्री पार्श्वनाथ जिनालय में रात्रि 08 बजे होगा। प्रभु भक्ति के लिए परम गुरु भक्त नमन जैनम डाकलिया खैरागढ़ से पधारेंगे।