परमात्मा का द्वार हर किसी के लिए खुला रहता है – प. पू. मधु स्मिता श्री जी म. सा.

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साधना जीवन में आए तो जीवन का उद्धार होता है – प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा.

चातुर्मास के तहत तप तपस्याओं का दौर जारी है

धमतरी | चातुर्मास के तहत इतवारी बाजार स्थित पार्श्वनाथ जिनालय में प्रवचन जारी है। जिसके तहत प. पू. मधु स्मिता श्री जी म. सा. ने कहा कि आक्रोश, क्रोध पर हमे विजय पाना है। अर्जुनवाणी जिसने 1260 हत्याएं की थी। भगवान महावीर स्वामी के शरण में आकर मोक्ष की प्राप्ति की। इसका अर्थ यह नहीं है कि हत्या करना पुण्य का काम है .किसी भी जीव की हत्या से पाप के भागी बनते है। इससे नरक के द्वार खुलते है लेकिन हृदय से पश्चाताप के भाव आए और प्रभु के शरण में जाए तो कर्मो का बंधन टुटता है। परमात्मा का द्वार हर किसी के लिए खुला रहता है। अपराधी को तप से सयंमी बनाया जा सकता है। कर्मो का नाश करने तप का आधार लेना चाहिए। प्रार्थना में बल व शक्ति होती है। जिनका जीवन परमात्मा में समर्पित होता है वे मृत्यु से नहीं घबराते है, लेकिन आज हमारा थोड़ा स्वास्थ्य बिगड़ता है तो हम घबरा जाते है. सहजता से जिनशासन की उपासना करते जाए तो परमात्मा के दर्शन होते है। क्रोध से हटकर शांति की अनुभूति हमे करनी है। कैवल्य दर्शन प्राप्त हो तो मोक्ष के अधिकारी बन जाते है। धरती में जल व कैरोसिन दोनो होता है जल जीवन के लिए आवश्यक व शीतल होता है। जबकि केरोसिन जलाने का काम करता है। इसी प्रकार मन में क्रोध व शांति दोनो होती है क्रोध जलाती है। शांति शीतलता लाती है। आक्रोश में मन को कैसे संभालना है चितंन करें।

प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा. ने कहा कि साधना जीवन में आए तो जीवन का उद्धार होता है जिस प्रकार सूर्य हमे जागने का संदेश देता है सभी के लिए आशीर्वाद है , लेकिन वह अभिशाप भी बन सकता है। दिन का सदुयोग किया गया है तो जीवन में सूर्योदय होगा और दुरुपयोग किया है तो सूर्यास्त होगा। विचार करें हमे अपने जीवन का सूर्योदय करना है या सूर्यास्त। जिसे गुरु का संकल्प मिल गया, आत्म ज्योति जाग गई तो उसे संसार में रहना पंसद नहीं आता।

अक्षय सुख आत्मा का सुख यह सिद्ध बनने पर मिलता है। साधना सुख के लिए कष्ट सहन करना पड़ता है। मन आत्मा में स्थिर हो तो शरीर को कष्ट का आभास नहीं होता। चातुर्मास के तहत तप तपस्याओं का दौर जारी है। अखण्ड तेले की श्रृखंला में आज नीतु देवी बोहरा के तीन उपवास पर संघ द्वारा सम्मान किया गया। वहीं पूर्वी, भावी पिता आलोक गोलछा भव्य पिता अमित राखेचा, नरेन्द्र पिता अनुपचंद बंगानी, ममता पति नरेन्द्र बंगानी, इशिका पिता नरेन्द्र बंगानी के 6 उपवास पूरे हुए। प्रवचन का श्रवण करने बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे।