किसान न्याय योजना नही कुर्सी बचाओ योजना -महेंद्र पंडित

555

धमतरी| किसान न्याय योजना नही किसान अन्याय योजना प्रतीत होती है।पंडित ने आगे कहा कि हमे कहि भी देखने को नही मिलेगा की किसी का बकाया पैसा एक मुस्त न देकर किस्तो में दे कर उसे लेनदार के लिए न्याय कहा जाए।ये तो हमारी माटी का गुण है, हम सब सह लेते हैं।किसानों के धान की बकाया बची राशी को एक साथ देने के अतिरिक्त उस राशि के भुगतान विलम्ब का ब्याज भी हमारे अन्नदाता भाइयो को मिलना चाहिए ,एक ओर राज्य सरकार बकाया राशि को किस्तो में देने की बात करके उसे

किसान न्याय का नाम दे रही है, बेशर्मी की सारी हदो को पार करती ये सरकार दिख रही है।हम ये ऐसी ही नही बोल रहे हैं ,हम ने कुछ दिन पूर्व छ ग के मुख्यमन्त्री भूपेश बघेल जी को केंद्रीय रेल मंत्री पर झूठा आरोप लगाते देखा है।कोई आवेदन ही नही ,और बोलते है रेल मंत्री हमारे छ ग के श्रमिक भाइयो के लिए श्रमिक इस्पेशल ट्रेन नही दे रहे है।चलो हम मान लेते हैं आप लोगो की झूठ बोलने की आदत सी है, किंतु छ ग के अन्नदाता भाई हमारे किसानों से हम अन्याय बर्दास्त नही करेंगे,कुछ तो शर्म करो भूपेश जी खुद को किसान बताने वाले किसान के दर्द को समझो न कि अपनी कुर्सी बचाने अपने आलाकमान को खुश करने लगे रहो।इस कॅरोना महामारी और प्राकृतिक आपदा बेमौसम बरसात ओला वृष्टि की दोहरी मार सह रहे है हमारे अन्नदाताओं को धान की बकाया राशि को ब्याज समेत एक मुस्त देने की योजना बनाए ताकि आप कह सके कि किसान न्याय योजना नही तो ये सिर्फ दिखावा ही होगा और किसानों के साथ बहुत बड़ा अन्याय।