सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में अजा,अजजा, पि.वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर होगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन -आर एन ध्रुव

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धमतरी । अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ के प्रांताध्यक्ष आरएन ध्रुव ने देश के राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, आदिवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री माननीय श्री अर्जुन मुंडा जी, अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष /सचिव भारत सरकार एवं देश के अनुसूचित वर्ग के सांसद एवं विधायकों को उच्चतम न्यायालय, उच्च

न्यायालयों ,उच्च न्यायिक सेवा के न्यायाधीशों व सरकारी वकीलों /विधि अधिकारियों की नियुक्ति के लिये वर्तमान चयन प्रणाली को समाप्त कर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा / विधि अधिकारी सेवा का गठन स्थापना के लिये ऐतिहासिक निर्णय लेकर शीघ्रातिशीघ्र बहुसंख्यक वर्ग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग को न्याय पालिका में पारदर्शिता के साथ उचित प्रतिनिधित्व देकर शीघ्र न्याय,समता एवं सामाजिक न्याय दिलाने का आदर्श स्थापित करने की मांग कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लाक डाउन के कारण ईमेल ,टि्वटर सहित अन्य उचित माध्यम से ज्ञापन भेजकर किए हैं। ध्रुव जी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय,उच्च न्यायालयों मे 70 वर्ष बाद भी न्यायाधीशों और सरकारी वकीलों का चयन प्रतिनिधित्व,परीक्षा, मेरिट,पारदर्शिता प्रणाली से नही हो रहा है।जिसके कारण इस वर्ग का न्यायिक सेवा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है ।जबकि अन्य सेवाओं जैसे आईएएस, आईपीएस आदि सेवा मे चयन के लिये संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), राज्य सेवा के लिये PSC द्वारा लिखित परीक्षा, साक्षात्कार, आयोजित कर मेरिट के आधार पर चयन प्रक्रिया से नियुक्ति होता है। देश के संविधान के अनुच्छेद 312( 1,3,4) मे अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन कर व उच्च न्यायिक सेवा के न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रावधान बनाये जाने का स्पष्ट उल्लेख है। लेकिन इसका लाभ देश के बहुसंख्यक वर्ग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के योग्यता धारी प्रतिभाओं को नही मिल रहा है और इस कमजोरी का लाभ सभ्रांत कहे जाने वाले कुछ विशेष जाति वर्ग के ही वकीलों द्वारा बिना किसी मेरिट के आधार पर कालेजियम सिस्टम से न्यायाधीश बन कर बहुसंख्यकों के मामलों में निर्णय आदेश दे रहे हैं जो नियुक्ति मे पारदर्शिता,समता, सामाजिक न्याय , प्रतिनिधित्व के संवैधानिक सिंद्धातों के विपरीत है और इसी कमजोरी के कारण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति,अन्य पिछड़ा वर्ग बहुसंख्यक वर्ग के पीड़ितों को समय पर उचित न्याय नही मिल पा रहा है ।
उपरोक्त मांगों के समर्थन में सभी जिला अध्यक्ष अपने-अपने स्तर पर शांतिपूर्ण ढंग से मांग पत्र रखेंगे। मांग पूर्ण नहीं होने की स्थिति में लॉक डाउन समाप्त होने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक मुखिया, बुद्धिजीवियों के साथ बैठक कर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। ज्ञात हो इस संबंध में पूर्व में माननीय प्रधानमंत्री जी एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी ईमेल के माध्यम से ज्ञापन दिए हैं ।जिसमें अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुआ है।