
धमतरी | सर्वप्रथम गागरा के समीप स्थित ग्राम पीपरछेड़ी में आयोजित एक दिवसीय मानस ज्ञान सम्मेलन में उपस्थित होकर हनुमान जन्मोत्सव के हवन पूजन में अपनी उपस्थिति दी, इसके बाद ग्राम खरेंगा के अटल चौक स्थित शिव मंदिर में आयोजित पूजन एवं महाप्रसादी वितरण कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दी,वहाँ से जवरगांव पहुँचकर गौठान चौक स्थित हनुमान मंदिर के कलश स्थापना एवं हवन पूजन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए,वहाँ से धमतरी के पुराना बस स्टैंड स्थित नगर के प्रतिष्ठित संकट मोचन हनुमान मंदिर में चल रहे प्रसादी वितरण कार्यक्रम में सेवा देने के बाद डाक बंगला वार्ड के वार्डवासियों द्वारा कालेज मोड़ पर बनें स्थिति हनुमान मंदिर के नव निर्माण एवं मूर्ति स्थापना कार्यक्रम में सम्मिलित होकर महाप्रसाद वितरण के कार्यक्रम में भाग लेने के बाद ग्राम भटगांव के बजरंग चौक स्थित हनुमान मंदिर से निकलने वाली शोभायात्रा के शुभारंभ में सम्मिलित होकर पूजा अर्चना की,इसके बाद धमतरी स्थिति प्राचीन किले के हनुमान मंदिर पहुँच कर आशीर्वाद प्राप्त किया,मराठा पारा एवं बाँस पारा में युवाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दी,संध्याकाल में रामजानकी मठ मंदिर पहुँचकर वहाँ चल रहे 108 अखंड हनुमान चालीसा पाठ में सम्मिलित होकर हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद पुराना बस स्टैंड स्थिति हनुमान मंदिर में आयोजित महाआरती में अपनी उपस्थिति दी।इसके अलावा विभिन्न स्थानों में आयोजित हनुमान जन्मोत्सव के कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दी, उन्होंने एक कथा के माध्यम से हनुमान जी की विनयशिलता के बारे में बताते हुए कहा कि शक्ति होने के साथ किसी भी व्यक्ति में विनय का गुण होना आवश्यक है जो हमें श्रीराम और हनुमान जी के संवाद की एवं कथा के माध्यम से मिलता है|
भगवान श्रीराम वनवास के दौरान हनुमान जी द्वारा की गई अनूठी सहायता से अभिभूत थे। एक दिन उन्होंने कहा हनुमान, संकट के समय में तुमने मेरी जो सहायता की उसे याद कर गद्गद हो उठता हूं, सीता का पता लगाने का दुष्कर कार्य तुम्हारे बिना असंभव था। लंका जलाकर तुमने रावण का अहंकार चूर-चूर किया, वह कार्य अनूठा था। घायल लक्ष्मण प्राण बचाने के लिए यदि तुम संजीवनी नहीं लाते तो न जाने क्या हो जाता?’ इन तमाम बातों का वर्णन करके श्रीराम ने कहा,तुम्हारे समान उपकारी सुर नर मुनि कोई भी शरीरधारी नहीं हो सकता।सीता जी ने कहा ‘तीनों लोकों में कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो हनुमान जी को उनके उपकारों के बदले में दी जा सके?’ श्रीराम ने पुनः कहा, हनुमान, तुम स्वयं बताओ कि मैं तुम्हारे अनंत उपकारों के बदले में क्या दूँ,जिससे मैं ऋण मुक्त हो सकूँ,हनुमान जी हर्षित हो प्रेम में व्याकुल होकर कहा, ‘भगवान, मेरी रक्षा कीजिए। अभिमान रूपी शत्रु कहीं मेरे के तमाम सत्कर्मों को नष्ट न कर डाले प्रशंसा ऐसा दुर्गुण है, जो अभिमान पैदा कर तमाम संचित पुण्यों को नष्ट कर डालता है।’ कहते- कहते वह श्रीराम जी के चरणों में लोट गए। हनुमान जी की विनयशीलता देखकर सभी हतप्रभ हो उठे।इन कार्यक्रमों में जिला कांग्रेस कमिटी के सचिव विक्रांत पवार,कांग्रेस आई टी सेल जिलाध्यक्ष तुषार जैस, युवा कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष हितेश गंगवीर भी उनके साथ उपस्थित रहे साथ ही विभिन्न ग्रामों से यशवंत रगरा,बुधदेव साहू,बेनू कवर,नीलेश रगरा,जुगेश रगरा,संतसाहू,दिनेश साहू, कृपाराम साहू, केशव सोनवानी,जयलाल सिन्हा, लखन साहू, लतेलु राम साहू, विष्णु ध्रुव,सोनऊराम ध्रुव,संजय सिन्हा,महेन्द्र साहू,गेंदलाल साहू, मदन नेताम,दुलार साहू, कृपाराम साहू,नारायण साहू, गजाधर ध्रुव, मुलचंद सिन्हा,सुभाष साहू,व्यासनारायण ध्रुव, राजु निषाद, युगलकिशोर साहू,हीतेश निषाद