नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कानूनी इकाई के तौर पर पशुओं को समानता दिए जाने की मांग कर रहे याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या वह अपने कुत्ते को अपने बराबर मानता है? सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका का परीक्षण करने का फैसला किया है जिसमें कहा गया है कि पूरे पशु वर्ग को कानूनी इकाई घोषित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief Justice of India) एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि इस बात की संभावना कम ही लगती है कि एनिमल किंगडम यानी पशु वर्ग को कानूनी इकाई घोषित किया जाए। कानूनी ईकाई से तहत केस लड़ने का अधिकार मिलता है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि मानव और पशु एक तरह के एक समान हैं। जानवर को प्रॉपर्टी नहीं समझा जाना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लेकिन आपका पशु आपके बराबर तो नहीं है। क्या कुत्ता इंसान के बराबर है? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर क्या चाहते हैं? आप चाहते हैं कि पशुओं को केस करने और मुकदमा झेलने काअधिकार हो। क्यों उन्हें कानूनी व्यक्ति यानी कानूनी ईकाई का दर्जा दिया जाए?
ऐडवोकेट ने कहा कि देश में पशुओं को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। धर्म ग्रंथ में कहा गया है कि पशुओं के बराबर मनुष्य हैं ऐसे में उन्हें कानूनी इकाई (Legal Unit) माना जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया फिर तो पेड़ों को भी ऐसा किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले के परीक्षण का फैसला किया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि जानवर इंसान के बराबर हैं, हालांकि विकास के मामले में वे मनुष्य से कम हैं। याचिकाकर्ता ने कहा, ‘उनके पास भी आत्मा और बुद्धि होती है।’