नई सलवार कुर्ती पाकर खुशी से खिल उठीं विशेष बच्चियां , सार्थक के बच्चों के बीच जाकर पिता की स्मृतियों का दुःख भुलाया प्रदीप ,कविता सेठिया ने
धमतरी | प्रदीप एवं श्रीमती कविता सेठिया, धमतरी के मानसिक दिव्यांग प्रशिक्षण केंद्र सार्थक स्कूल के बच्चों से मुलाकात के लिए पहुंचे। बच्चों ने भरपूर उत्साह के साथ गीत गाकर उनका स्वागत किया। सेठिया दंपति ने भावुक होकर कहा, इतने वर्षों से संचालित इस संस्था के बच्चों से, वे अभी तक मिलने नहीं आ पाए, इसका उन्हें खेद हो रहा है। उन्होंने कहा, सरल ,व्यवहार वाले,समझदार और भोले बच्चों के बीच आकर,वे एक वर्ष पूर्व, अपने पिता स्व. मूलचंद सेठिया से बिछड़ने का दुख भुला बैठे हैं।फिर कविता ने जीवन के यथार्थ का गीत ,मानुष जनम अनमोल रे ,मिट्टी मे ना रोल रे अब जो मिला है फ़िर ना मिलेगा कभी नही कभी नही , गीत अपनी सुमधुर आवाज में गाकर सुनाया, बच्चों ने भी लय के साथ तालियां बजाकर भाव विभोर होकर साथ दिया ।
सेठिया दंपति ने सार्थक स्कूल को 10 छत्तीसगढ़ी पारंपरिक साड़ियां भेंट की।संयोगवश इसी दिन धमतरी की श्रीमती आभा गुप्ता अपनी बेटी संजना गुप्ता के साथ स्कूल आईं और उन्होंने 8 छात्राओं को नए सलवार सूट का उपहार दिया, बच्चियां नई ड्रेस पाकर बेहद प्रसन्न हुईं उन्होंने थैंक्यू आंटी कहा और उन्हें पहनकर रैम्प वॉक की तर्ज पर चलकर अपनी प्रसन्नता जाहिर की। आभा एवं संजना ने प्रफुल्लित होकर बच्चों की प्रतिभा की सराहना की।सार्थक की अध्यक्ष डॉ.सरिता दोशी ने बताया कि,संगीत एवं नृत्य के प्रशिक्षकों द्वारा लगातार अभ्यास कराते रहने से बच्चे, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होने, शहर एवं शहर से बाहर जाने के लिए उत्साहित रहते हैं और अच्छा परफॉमेंस देते हैं।लेकिन हर बार कार्यक्रम के अनुरूप पहनने के लिए पोशाक और गहने, खरीदना या किराए पर ले पाना,सार्थक संस्था अथवा पालकों के लिए, संभव नहीं हो पाता। भेंट की गई, छत्तीसगढ़ी पारंपरिक साड़ियां,विभिन्न अवसरों पर बच्चों को तैयार करने में, बहुत उपयोगी होंगी। उक्त संक्षिप्त कार्यक्रम के पश्चात अतिथियों ने बच्चों को स्नेहपूर्वक स्वल्पाहार कराया। वरिष्ठ प्रशिक्षक मैथिली गोड़े ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, नई साड़ियां और नए सलवार सूट,दोनों सार्थक स्कूल के लिए काम में आने वाले सुंदर उपहार हैं। उपरोक्त अवसर पर प्रशिक्षक देविका दीवान, स्वीटी सोनी, सुनैना गोड़े, सकीना बाघमारे उपस्थित थे।