
धमतरी | 8 साल पहले धमतरी के अंबेडकर वार्ड की झुग्गी बस्ती में रहने वाले 10 परिवार गरीबी से जूझ रहे थे। घर के पुरुष छोटे-मोटे काम कर गुजर-बसर कर रहे थे, जबकि महिलाएं घर की दयनीय स्थिति से चिंतित थीं। इन कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए उन्हें राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) का सहारा मिला। महिलाओं ने संगठन बनाकर अपनी स्थिति को बदलने का संकल्प लिया। संगठन की स्थापना और पहला कदम आशा बाई साहू ने अन्य महिलाओं के साथ मिलकर “सहेली संग महिला स्व-सहायता समूह” का गठन किया। इस समूह ने राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत मार्गदर्शन लेकर थोड़ी-थोड़ी राशि बचाना शुरू किया। जल्द ही उन्हें आंगनबाड़ी में मुर्रा लड्डू बनाने का काम मिला, जिससे उन्हें हर माह 10,000-15,000 रुपये की आय होने लगी। आय बढ़ाने के नए प्रयास समूह ने राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत स्कूलों के लिए गणवेश सिलाई का काम भी शुरू किया, जिससे 15,000-20,000 रुपये की वार्षिक आय हुई। हालांकि यह कार्य केवल साल में एक बार होता था, इसलिए उन्होंने “रेडी-टू-ईट” फूड तैयार कर आंगनबाड़ी में सप्लाई करने का काम भी शुरू किया। केन्टीन संचालन में मिली सफलता 2016 में जिला प्रशासन ने कम्पोजिट बिल्डिंग में केन्टीन संचालन के लिए आवेदन मांगे। सहेली संग समूह को यह जिम्मेदारी मिली, और 15 अगस्त 2016 से उन्होंने केन्टीन का संचालन शुरू किया।
यहां भोजन, चाय-नाश्ता और समूह द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री होती है। प्रतिदिन 3000-4000 रुपये की बिक्री से समूह को शुद्ध लाभ होने लगा। इसके अलावा, सरकारी विभागों के कार्यक्रमों में भोजन और नाश्ते की आपूर्ति कर उनकी आय और बढ़ी। आर्थिक मजबूती और विस्तार केन्टीन शुरू करने के लिए समूह ने 1 लाख रुपये का ऋण लिया और 3.85 लाख रुपये जुटाकर शुरुआत की। इसके बाद, 10 लाख रुपये का बैंक लिंकेज ऋण लेकर केन्टीन का विस्तार किया। आज समूह हर सदस्य को प्रतिमाह 3500 रुपये की आमदनी सुनिश्चित कर रहा है। नए प्रयास और भविष्य की योजनाएं समूह ने 4 लाख रुपये की लागत से पापड़ बनाने की ऑटोमेटिक मशीन खरीदी है। अब यह समूह शहर के अन्य महिला समूहों को जोड़कर बड़े पैमाने पर पापड़ उत्पादन और बाजार में बिक्री करने की योजना बना रहा है। प्रेरणा और बदलाव समूह की सफलता से प्रेरित होकर कई अन्य महिलाएं भी इस समूह का हिस्सा बन चुकी हैं। वर्तमान में, यह समूह अपने मेहनत और लगन से न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है, बल्कि अन्य महिला समूहों के लिए एक आदर्श उदाहरण भी बन गया है। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की भूमिका सहेली संग महिला स्व-सहायता समूह ने राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के मार्गदर्शन और समर्थन से गरीबी से आत्मनिर्भरता तक का सफर तय किया है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि सही प्रयास और सरकारी योजनाओं के सहयोग से आर्थिक और सामाजिक बदलाव लाया जा सकता है।