विश्व नवकार दिवस के अवसर पर सामूहिक नवकार जाप तथा सर्व धर्म हेतु विकार से संस्कार की ओर विषय पर हुआ प्रवचन

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अध्यात्म योगी उपाध्याय प्रवर प.पू. श्री महेन्द्र सागर जी म.सा. युवा मनीषी उपाध्याय प्रवर प.पू. श्री मनीष सागर जी म.सा. आदि ठाणा प.पू. निपूर्णा श्री जी महाराज साहेब की शिष्या परम पूज्य हंसकीर्ति श्री जी म.सा. के मुखारविंद से हुआ प्रवचन
धमतरी | जैन समाजजनों के साथ ही जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागिरक व सर्वधर्म के लोगों ने लिया प्रवचन का लाभ धमतरी। श्री महावीर जयंती उत्सव समिति 2025 धमतरी द्वारा विश्व नवकार दिवस के उपलक्ष्य में सामूहिक नवकार मंत्र जाप का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 9 अप्रैल को विश्वनावकर दिवस घोषित किया गया है। अत: आज पूरे देश में जहां जहां जैन धर्म या अहिंसा धर्म के अनुयायी रहते है वहां वहां सामूहिक नवकार मंत्र के जाप का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर आज प्रात: 8 बजे से8:30 बजे तक गांधी चौक में नवकार जाप किया गया। इसके बाद विकार से संस्कार की ओर विषय पर सर्व धर्म हेतु प्रवचन का आयोजन किया गया। जिसमें जैन समाजजनों के साथ ही जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागिरक व सर्वधर्म के लोगों ने प्रवचन का लाभ लिया। अध्यात्म योगी उपाध्याय प्रवर परम पूज्य महेंद्र सागर जी महाराज साहेब उपाध्याय प्रवर युवा मनीषी परम पूज्य मनीष सागर जी महाराज साहेब आदि ठाना परम पूज्य निपूर्णा श्री जी महाराज साहेब की शिष्या परम पूज्य हंसकीर्ति श्री जी महाराज साहेब आदि ठाना गांधी चौक( प्रवचन स्थल) में उपस्थित रहे। युवा मनीषी उपाध्याय प्रवर परम पूज्य मनीष सागर जी महाराज साहेब ने आज के प्रवचन के माध्यम से फरमाया कि हमारे पास साधन, सुविधा और संपत्ति तो दिन प्रतिदिन बढ़ रही है लेकिन जीवन में संस्कारों को कमी आते जा रही है।  हमारा जीवन स्वतंत्र तो है लेकिन स्वछंद नहीं। यही कारण है कि संस्कारों के स्थान पर विकारों को हम जीवन में स्थान दे रहे है। आज हमें अपनी स्वतंत्रता का लाभ अपने संस्कारों को बढ़ाने में करना है। हम आर्य देश में रहते है । ये भारत ऋषि मुनियों को भूमि है। राम, कृष्ण और महावीर की भूमि है। यहां पर विकारों को हम अपना रहे है तो विचार कीजिए हमारी आत्मा का क्या होगा। जीवन में संबंध विश्वास पर ही टिका होता है। लेकिन हमारे विकार हमारे अंदर के विश्वास को कमजोर करते है। राम, कृष्ण और जितने भगवान या महापुरुष इस भूमि में हुए उन्होंने कभी मांसाहार नहीं किया। तो फिर न जाने हमारे अंदर कहां से मांसाहार का विकार आ गया। परिवार में एक सदस्य की मृत्यु पूरे परिवार को दुखी कर देता है । तो सोचिए हम जिस निर्जीव पशुओं को मारकर खाते है तो उनके परिवार पर क्या बीतता होगा। कितना दुख होता होगा। परमपूज्य उपाध्याय प्रवर महेंद्र सागर जी महाराज साहेब के शिष्य परमा पूज्य विनम्र सागर जी महाराज साहेब ने अपने प्रवचन के माध्यम से फरमाया कि जहां सज्जनों के मुख से नवकार मंत्र का जाप होता है वह स्थान संस्कारों की गंध से महक उठता है। विकार और संस्कार एक दूसरे के विपरीत है। संस्कार एक वृक्ष की शीतल छाया के समान है। जबकि विकार गर्मी के भीषण उष्ण की तरह हमें जलाने वाला होता है। हमारे अंदर के विकारों की ताप को संतो की अमृत वाणी से शांत किया जा सकता है। परिवर्तन का कोई समय नहीं होता। जब हमारी चिंता आत्म विकास के चिंतन में बदल जाए वही जीवन में बदलाव का सुअवसर बन जाता है। हम जीवन को संस्कारों से भी भर सकते है और विकारों से भी। जीवन को उज्ज्वल बनाना है तो विकारों को दूर करके संस्कारों को जीवन में स्थान देना होगा। जीवन में सुधारने के लिए आत्मा की आवाज को समझना होगा। शुभ संकेत को समझना होगा। हमें अगर पुलिस का भय है तो समझना होगा कि हम कैसे है। क्योंकि पुलिस का भय अपराधी को होता है। संस्कार वन व्यक्ति को नहीं। हम मांसाहार करते है व्यसन करते है तो परमात्मा हमारे हृदय में कभी नहीं आ सकते। साधु भगवन्तों, संतो की उपस्थिति में अपने जीवन। से विकारों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। आत्मा का गुलाम है हमारी पांच इंद्रिय। जबकि हमने अपने शरीर को इंद्रियों का गुलाम बना रखा है। कैवल्यधाम तीर्थ प्रेरिका परम पूज्य निपूर्णा श्री जी महाराज साहेब की शिष्या परम पूज्य हंसकीर्ति श्री जी महाराज साहेब ने फरमाया कि परमात्मा के पांच कल्याणक च्यवन कल्याणक, जन्म कल्याणक, दीक्षा कल्याणक, केवलज्ञान कल्याणक और निर्वाण कल्याणक होते है। परमात्मा के जन्म के समय सौधर्मेंद्र देव उन्हें मेरु पर्वत पर ले जाकर उनका जन्म महोत्सव मनाते है। भगवान के बचपन का नाम वर्धमान था। भगवान वर्धमान से महावीर कैसे बने। इसके लिए शास्त्रों के माध्यम से बताया गया है कि परमात्मा जब 8 साल के थे। तब बालक्रीड़ा करते समय एक देव परीक्षा लेने आए। फिर भगवान के साथ क्रीड़ा करते हुए भगवान को अपने कंधे पर उठा लिए और अपना शरीर 7 ताड़ जितना लंबा कर लिया। फिर भी परमात्मा बिल्कुल भी नहीं घबराए, और उस देव के सर पर एक मुष्टि का प्रकार किया। वो देव वही पर धराशाई हो गया। और अपने वास्तविक रूप में आकर परमात्मा से क्षमा मांगकर अपने देव लोक में वापस में चला गया। परमात्मा जब माता के गर्भ में थे तब उनके हलन चलन से माता को पीड़ा होती थी उसे ध्यान में क्राखते हुए उन्होंने गर्त में ही प्रतिज्ञा किया कि मैं माता पिता के जीवित रहते दीक्षा नहीं लूंगा। परमात्मा जब 28 साल के हुए तब अपने बड़े भाई नंदिवर्धन से दीक्षा की आज्ञा लेने पहुंचे। पर भाई के अनुग्रह पर 2 साल और अर्थात कुल 30 साल गृहस्थ में रहे। 24 तीर्थंकर परमात्मा में महावीर स्वामी की आयु सबसे कम थी। लेकिन सबसे अधिक उपसर्गों को आपने सहन किया। एक दिन में 20 उपसर्ग भी आपने सहन किए। संसार को जियो और जीने का उपदेश आपने दिया। नवकार जाप व प्रवचन के दौरान पूर्व विधायक रंजना साहू, इंदर चोपड़ा, पूर्व निगम सभापति राजेन्द्र शर्मा, एमआईसी मेम्बर पिंटु यादव, विजय ठाकुर, महेन्द्र खण्डेलवाल, सिंधी समाज अध्यक्ष चंदु जसवानी, कोसरिया मरार पटेल समाज अध्यक्ष बिशेषर पटेल, डा एनपी गुप्ता, हरजिन्दर छाबड़ा, परमेश्वर फुटान, धमतरी मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश साहू, दिनेश रोहरा, कैलाश कुकरेजा, महेश रोहरा, हर्षद मेहता, होरीलाल साहू, शत्रुघन पाण्डेय, नन्दु जसवानी, राजकुमार मीनपाल, एकनाथ सोनी, राकेश दिवान, कीर्ति शाह, सूर्यप्रभा चेटियार, सुषमा नन्दा सहित बड़ी संख्या में सर्वधर्म व जैन समाज के लोग उपस्थित रहे।