
मानसिक दिव्यांग बच्चे ईश्वर का स्वरूप होते हैं
जी. ई. फाउंडेशन दिव्यांग बच्चों को सम्मानजनक उन्नत स्थान प्रदान करता है
धमतरी | दिव्यांगजन सेवा के लिए छत्तीसगढ़ में ,जानी जाने वाली संस्था जी. ई. फाउंडेशन भिलाई के संयोजक, प्रदीप पिल्लई , सार्थक स्कूल के विशेष बच्चों से मुलाकात के लिए आए और उन्हें पढ़ने और अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया। विशेष बच्चों को भगवान का स्वरूप बताते हुए कहा कि ,इन बच्चों से हमें भरपूर प्रेम करना चाहिए, इनकी भोली और संतोष से भरी मुस्कुराहट हमारे जीवन को खुशियों से भर देती है, और हमारी बेहिसाब ख्वाहिशों को कम करके सरलता से जीने का संदेश देती है।आगे, उन्होंने बताया कि, उनके फाउंडेशन के द्वारा 29 सितंबर को महात्मा गांधी कला मंदिर भिलाई में स्पेशल बच्चों के लिए, कल्चरल प्रोग्राम”अभिव्यक्ति की उड़ान” का आयोजन किया जा रहा है और वे सार्थक के बच्चों की सहभागिता हेतु, आमंत्रण देने ,सार्थक स्कूल आए हैं।

उनके आने पर,स्कूल के बच्चों ने सर्वप्रथम, अभिनंदन गीत गाकर उनका स्वागत किया। और अपनी डांस टीचर स्वीटी सोनी के निर्देशन में “योद्धा बन गई मैं.की सुंदर प्रस्तुति दी। बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए, श्री पिल्लई ने सभी बच्चों को स्कूल बैग का उपहार दिया। बैग्स पाकर बच्चे बहुत प्रफुल्लित हुए, उन्होंने थैंक्यू सर कहा।सार्थक की सचिव स्नेहा राठौड़ ने बताया कि, जी. ई. फाउंडेशन दिव्यांगजनों के प्रतिभा और व्यक्तित्व विकास के लिए वर्ष में तीन आयोजन ड्रॉइंग पेंटिंग, स्पोर्ट्स और सांस्कृतिक कार्यक्रम करते हैं। सार्थक के बच्चे भी उनमें शामिल होते हैं,और भिलाई में अपनी कला दिखाने उत्साहित रहते हैं। उपहार के लिए आभार व्यक्त करते हुए सार्थक की अध्यक्ष डॉ. सरिता दोशी ने कहा कि, जी.ई. फाउंडेशन भिलाई, निःशक्त बच्चों की प्रतिभा को प्रदर्शित करवाने का बहुत सम्मानजनक प्लेटफार्म प्रदान करते हैं, वहां प्रस्तुतीकरण के कारण बच्चों का मनोबल बहुत बेहतर हुआ है। कार्यक्रम का संचालन सचिव स्नेहा राठौड़ ने किया। इस अवसर पर प्रशिक्षक मैथिली गोड़े, देविका दीवान सुनैना गोड़े उपस्थित थे।






