
अजनबी की सद्गगति हेतु सत्कर्म कर विधायक ने पुत्रीधर्म निभाते अदा कर दी जनप्रतिनीधि व इंन्सनियत का फर्ज
दिलो मे दर्द चेहरे पे दुख-संताप लिये भवनात्मक वातावरण मे रँजना की डबडबाई नम आंखों से बाहर आ गई नारी वेदना
धमतरी | आज जब मानवीय मूल्यों का विघटन हो रहा है सारे संबंध रिश्ते नाते तार-तार हो कर टूटने के कगार में है, भाई-भाई का दुश्मन बनकर परिवार को विघटित कर रहा है,संयुक्त परिवार दम तोड़ रही है ।
तब वर्तमान समय मे समाज में ऐसे भी लोग हैं जिनके कारण मानवीय धर्म व इंसानियत हमारे समक्ष अनेक अविस्मरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर जाता है ।ऐसा ही एक वाक्या पिछले दिनों ग्राम गुजरा में 33वर्षों से अनवरत एकाकी जीवन यापन करते हुवे रहने वाले वयोवृद्ध जितेंद्र साहू के साथ घटी जब उन्हें उम्र के अंतिम पड़ाव में कोई परिजन ना होने से गांव के ही मुकेश शर्मा ने आश्रय देते हुए परिवारीक सदस्य की तरह अपने घर पर रख देखभाल की ,उम्र दराज के कारण शरीर ने जवाब दे दिया और उनका देहवसान हो जाने पर साहू समाज के होने के चलते विधायक श्रीमती रंजना साहू को जानकारी देने पर वे पूरे समाज जनों के साथ अंतिम संस्कार का माध्यम ही नहीं बनी
वरन् तीजनहवन व पांचनहवन क पूरा सांस्कारिक कार्यक्रम समाजिक रीतिरिवाज से रुद्रेश्वर घाट में उक्त मृतक की सद्गति हेतु संपन्न कराते हुए सहोदर की भूमिका निभाई ,काफी भावुकतापूर्ण वातावरण मे विधायक रँजना साहू की डबडबाई नम आँखें नारी की वेदना, अपनापन को बया कर रही थी उन्हें उक्त कार्य में सहयोग करने के लिए रुद्री ग्राम पंचायत की सरपंच अनिता यादव पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्यामा देवी साहू, सहित अनेक समाजिक पदाधिकारी व महिलाए आगे आकर समाजिक दायित्व व फर्ज का निर्वाह किया। एक चर्चा में विधायक श्रीमती साहू ने कहा कि रुद्रेश्वर घाट के विस्तार के कार्य मे उनकी भावना जुडी थी,इसलिए उपरोक्त अंतिम संस्कार सहित सभी कार्यक्रम इस घाट मे सपन्न होने से उन्हें अन्तरआत्मा से आज तसल्ली हुई कि घाट का विस्तार उनके जीवन के लिए एक अमूल्य धरोहरिक घटना होगी, श्रीमती साहू ने आगे कहा कि हम सब धरती पर अकेले ही आये है और मृत्यु के बाद जाने भी अकेले है लेकिन समाज में व्यक्ति को व्यक्ति से यदि कोई बात जोड़ता है तो मानवीय संवेदनाओं तथा मूल्यों की अदृश्य कड़ी है और यही भावना हमे धरती पर मनुष्य से ईश्वर तुल्य बनाने की ओर अग्रसर करती है उन्होंने समाज जनों से आग्रह किया है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने को कोविड-19 के विपरीत काल में सामाजिक धरातल पर किए जाने वाले सेवा कार्य को जोड़ते हुए उसे अंजाम तक पहुंचाये यही राष्ट्र के जिम्मेदारी व वर्तमान समय की समग्रतः आवश्यकता भी है।