
नगरी | पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं प्रदेश महासचिव महिला कांग्रेस छग श्रीमती बिन्दा नेताम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि महिलाओं को लोकसभा एवं विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण देने वाले महिला आरक्षण विधेयक संसद में सर्वसम्मति से पास हुआ है इसे तत्काल लागू करना चाहिए लेकिन केन्द्र सरकार के द्वारा लोकसभा एवं विधानसभाओं के 2026 में परिसीमन व जनगणना उपरांत लागू करने का फैसला महिलाओं के साथ छलावा प्रतीत होता है क्योंकि यह विधेयक पास होने में बहुत विलम्ब हो चुका है और फिर पांच साल इंतजार करना पड़ेगा जो उचित नहीं है महिला आरक्षण विधेयक के संसदीय इतिहास को अध्ययन से पता चलता है महिला आरक्षण देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व श्री राजीव गांधी जी का सपना था।
लोकसभा एवं विधानसभाओं में महिलाओं समुचित भागीदारी हो ताकि देश महिला सशक्तिकरण के साथ चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसित हो लेकिन तत्कालीन विपक्ष के नेताओं के द्वारा विरोध किया गया वर्ष 2010मे यूपीए सरकार द्वारा राज्य सभा महिला आरक्षण विधेयक प्रस्तुत किया गया किन्तु लोकसभा में पारित नहीं हो सका वर्ष 2014मे केन्द्र में भा ज पा सरकार बैठी जो पौने पांच साल चुपचाप सोती रही जब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव याद आया तो संसद का विशेष सत्र बुलाकर महिला आरक्षण विधेयक लाया गया जब विशेष सत्र में विधेयक पास किया गया है तो इसे तत्काल लागू करना चाहिए अन्यथा वह विधेयक तो संसद के शीतकालीन सत्र या बजट सत्र में भी लाया जा सकता था इससे केन्द्र सरकार की निति एवं नियति में संदेह महसूस होता है आसन्न चुनाव को देखते महिला वोटरों को साधने के लिए भाजपा सरकार ढोंग कर रही हैं लेकिन महिलाएं सब समझ चुकी हैं इस विधेयक में एसी एसटी महिलाओं की तरह ओबीसी महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान करें ताकि महिलाओं का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।