भाजपा के प्रयासों से पिछड़ा वर्ग को मिल रहा अधिकतम 50 प्रतिशत आरक्षण,कांग्रेस इसे शून्य करवाना चाहती थी : अरुण साव

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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का बड़ा बयान : भाजपा की आंतरिक व्यवस्था से अनारक्षित सीटों पर पिछड़ा वर्ग को मिलेगा ज्यादा प्रतिनिधित्व, कांग्रेस का बवाल करवाने का बयान निंदनीय, कांग्रेस प्रदेश में कानून व्यवस्था को खराब करने का लगातार षड्यंत्र कर रही है : अरुण साव

 भाजपा प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव ने कहा कि हमने इस बात को सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि अनारक्षित सीटों पर पिछड़े वर्ग को अधिक प्रतिनिधित्व देंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले की स्थिति बहाल रहेगी एवं पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आएगी। प्रदेश अध्यक्ष देव ने कहा कि कांग्रेस केवल झूठ की राजनीति करती है, वह मुद्दों के अभाव से जूझ रही है राजनीतिक पतन की तरफ बढ़ रही है इसलिए केवल वर्ग संघर्ष की बात करना, प्रदेश में माहौल खराब करने का प्रयास करना, षड्यंत्र करना यही कांग्रेस का काम रह गया है। प्रदेश भाजपाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने तो वास्तव में ओबीसी आरक्षण के विरोध में कोर्ट जाने वाले और ओबीसी का आरक्षण रोकने वाले लोगों को पुरस्कृत करने का काम किया है। भाजपा कांग्रेस के सभी षडयंत्र उजागर करती रहेगी और कांग्रेस का झूठ अब चलने वाला नहीं है। प्रेस वार्ता में उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने विस्तार से आरक्षण के प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा से ओबीसी विरोधी रही है। श्री साव ने कहा कांग्रेस हमेशा पिछड़ा वर्ग का विरोधी रही है। वह आरक्षण के खिलाफ रही है। तब की कांगेस सरकार द्वारा ‘कालेलकर आयोग’ की अनुशंसा को ठंडे बस्ते में डाल देने के बाद आगे फिर ‘मंडल आयोग’ तक का इंतज़ार करना पड़ा। पंडित नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक के आरक्षण विरोधी वक्तव्यों के अनेक संदर्भ आपको गाहे ब गाहे दिख भी जायेंगे। मसलन 1961 में मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में पंडित नेहरु ने कहा था कि आरक्षण से अक्षमता और दोयम दर्जे का मानक पैदा होता है। इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की संस्तुति से किनारा कर लिया था। राजीव गांधी ने तो यहां तक कह दिया था कि आरक्षण से हम बुद्धुओं को बढ़ावा देते हैं। इस प्रकार बार-बार प्रमाणित हुआ है कि कांग्रेस पूरी तरीके से आरक्षण विरोधी रही है।

आरक्षण संबंधी सभी संवैधानिक प्रावधानों की विस्तृत जानकारी देते हुए श्री साव ने कहा कि देश के संसद में 73वां 74वां संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा सशक्त और जवाबदेह पंचायत एवं नगर पालिका बनाने का प्रावधान संविधान में किया गया और साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े हुए नागरिकों के किसी भी वर्ग के पक्ष में आरक्षण के लिए उपबंध (प्रावधान) करने का अधिकार राज्य के विधान मंडल को दिया गया है। साथ ही सभी वर्ग में महिलाओं के लिए भी आरक्षण से संबंधित उपबंध (प्रावधान) दिये हैं। अनुच्छेद 243 (घ) में पंचायतों के स्थानों के आरक्षण से संबंधित प्रावधान है, जिसमें 243(घ)(1) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का प्रावधान है। 243(घ)(2) में महिलाओं से संबंधित आरक्षण का प्रावधान और 243(घ)6 में पिछड़े हुए नागरिकों के लिए आरक्षण के संबंध में उपबंध है। इस प्रकार नगर पालिकाओं में आरक्षण से संबंधित प्रावधान 243(न) में उपबंधित है, जिसमें 243(न) (1) में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण के उपबंध है। 243(न)(2) में महिलाओं के आरक्षण से संबंधित उपबंध है एवं 243(न)(6) में कमजोर वर्गों से संबंधित आरक्षण के उपबंध है। नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में धारा (11) स्थानों में आरक्षण से संबंधित उपबंध है, जिसमें धारा (11) (1) में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का उपबंध करता है। धारा (11) (2) में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का उपबंध करता है एवं धारा (11) (3) में महिलाओं के लिए आरक्षण का उपबंध करता है। इसी प्रकार नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 29 (क) में स्थानों में आरक्षण से संबंधित उपबंध है। 29 (क)(1) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों से संबंधित आरक्षण का उपबंध करता है। 29 (क)(2) अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित आरक्षण का उपबंध करता है। 29 (क)(3) में महिलाओं से संबंधित आरक्षण का उपबंध करता है। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 13 में ग्राम पंचायत के गठन से संबंधित उपबंध है, जिसमें धारा 13 (4)(1) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनज…