
धमतरी | छत्तीसगढ़ में पहली बार पिछले वर्ष एक मई मजदूर दिवस को बोरे बासी तिहार के रूप में मनाया गया। पहले वर्ष ही बोरे बासी तिहार को राज्य के हर वर्ग ने अपने पूरे उत्साह के साथ मनाया । इस वर्ष भी पूरा राज्य बोरे बासी तिहार का इंतजार कर रहा है। बोरे-बासी तिहार से नई पीढ़ी के लोगों को भी छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति ,खान पान से जुड़ने का मौका मिलेगा। प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पूर्व विधायक गुरुमुख सिंह होरा ने कहा की इस वर्ष बोरे बासी तिहार का नाम सुनकर ही लोगो मे काफी उत्साह देखने को मिल रहा है ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरे देश में वैसे तो राज्य के जनकल्याणकारी और राज्य की कला-संस्कृति, को बढ़ावा देने के लिए अभिनव पहल के लिए जाने जाते हैं। मुख्यमंत्री के द्वारा लोककल्याण और राज्य की मूल संस्कृति और रीति-रिवाजों को संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से शुरू की गई। सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को राज्य के सभी वर्ग के लोगों से पूरा समर्थन भी मिलते आया है। बोरे-बासी भी मुख्यमंत्री बघेल के अभिनव पहल में एक है, जिसें लोगों का पूरा-पूरा सहयोग मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में बोरे बासी प्रमुख आहार में से एक है। जिसे सुबह नास्ता और भरपेट भोजन के रूप में खाया जाता है। इसी प्रकार बोरे-बासी लघुधान्य फसल जैसे कोदो, कुटगी, रागी और कुल्थी की भी बनाई जाती है। बोरे-बासी के इन सभी प्रकारों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, फ्राइबर, एनर्जी और विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। बोरे बासी पौष्टिक,स्वादिष्ट और सेहदमंद है। होरा ने मजदूर दिवस के दिन लोगो से बोरे बासी खाने की अपील करते हुए कहा कि बोरे बासी का नाम जुबां पर आते ही छत्तीसगढ़ के लोगों के जेहन में बोरे बासी के साथ आम की चटनी अर्थात अथान की चटनी, भाजी, दही और बड़ी-बिजौड़ी की सौंधी-सौंधी खुशबू से मन आनंदित हो जाता है। मुंह में पानी और चेहरे में बोरे बासी खाने की लालसा और ललक स्पष्ट दिखाई देती हैं। एक मई को श्रमिक दिवस के अवसर पर प्रदेश के श्रमिकों के सम्मान में पूरा प्रदेश बोरे बासी खाने के लिए उत्साहित है ।